बनभूलपुरा मामले में याचिकाकर्ता को नहीं मिली राहत, हाईकोर्ट ने सुनवाई की तिथि 10 मई को की नियत
नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के वनभुलपुरा में सरकार की नजूल भूमि में स्थित मलिक के बगीचे में हुए अतिक्रमण के मामले पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को कोई राहत न देते हुए राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने सरकार के जवाब पर याचिकाकर्ता से प्रति शपथपत्र पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 10 मई की तिथि नियत की है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पैरवी करते हुए कहा कि नगर निगम ने अतिक्रमण हटाने का जो नोटिस दिया है, वह नियमावली के विरुद्ध है। नोटिस में किसी भी नियमावली का पालन नही किया है। इसलिए इस नोटिस पर रोक लगाई जाय। इसके जवाब में राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत, शासकीय अधिवक्ता अमित भट्ट ने कहा कि नजूल भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए सरकार के पास पॉलिसी है। प्रशासन ने नियमों के तहत ही अतिक्रमण हटाया है। पूर्व में यह भूमि सरकार ने कृषि करने के लिए दस साल की लीज पर दी थी। जिसकी लीज समाप्त हो गयी और इसका नवीनीकरण नहीं हुआ।
मलिक का बगीचा निवासी सोफिया मलिक ने याचिका दायर कर कहा है कि नगर निगम हल्द्वानी ने उन्हें 30 जनवरी 2024 को नोटिस देकर मलिक के बगीचे से अतिक्रमण हटाने को कहा है। उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया गया, जो नोटिस दिया यह एक प्रशासनिक नोटिस था न कि किसी कोर्ट का। प्रशासन को ध्वस्तीकरण करने के आदेश देने का अधिकार नहीं है। ध्वस्तीकरण करने से पहले उन्हें पीपी एक्ट में नोटिस दिया जाना था, जो नहीं दिया गया। इस मामले में किसी भी नियमावली का पालन नहीं किया गया। इसलिए इस नोटिस पर रोक लगाई जाय। इस सुनवाई के दौरान कोर्ट में भारी गहमागहमी का माहौल था । नगर निगम हल्द्वानी के अधिकारी सहित कई अन्य पुलिस व प्रशासन के अधिकारी कोर्ट में मौजूद थे ।
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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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