आरटीआई कार्यकर्ता ने सूचना के अधिकार के दम पर हासिल की सरकारी नौकरी- सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को तीन माह में नियुक्ति देने के दिए आदेश

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गदरपुर। ग्राम बकैनिया निवासी आरटीआई कार्यकर्ता को सूचना अधिकार अधिनियम के जरिए शिक्षा विभाग में नौकरी मिलने की उम्मीद बन गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए तीन माह में 239 रिक्त पदों पर तत्काल प्रभाव से नियुक्तियां करने के निर्देश दिए हैं।


बकैनिया निवासी आरटीआई कार्यकर्ता  विश्वनाथ साह ने एनआईओएस से डीएलएड का डिप्लोमा लिया था। उन्होंने सीटीईटी और यूटीईटी भी पास किया है, जिसके आधार पर विश्वनाथ सरकारी स्कूल में अध्यापक बनने के कानूनी रूप से हकदार बन गए थे। मामला ने तब तूल पकड़ा जब वर्ष 2020 में आई शिक्षक भर्ती में विश्वनाथ के आवेदन को निरस्त कर दिया। पूरा मामला नैनीताल हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गया। पहली बार सुप्रीम कोर्ट से विश्वनाथ को हार का सामना करना पड़ा। विश्वनाथ ने पुनर्विचार याचिका के माध्यम से आदेश को चुनौती दी और जीत हासिल की। विश्वनाथ वर्ष 2007 से सूचना के अधिकार कानून के अंतर्गत विभिन्न विभागों से सूचना लेकर अपने और समाज के अधिकार के लिए लड़ते आ  रहे हैं। अब तक के 18 वर्षों में उनकी ओर से 200 से अधिक सूचनाएं मांगी गई जिसमें से 50 से अधिक सूचनाओं पर अधिकारियों को सख्त चेतावनी के साथ अपीलों का निपटारा किया गया।  

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विश्वनाथ ने शिक्षक भर्ती को लेकर स्थानांतरण याचिका के माध्यम से पुनः सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना दावा पेश किया। राज्य सरकार ने इनके दावे पर सख्ती से विरोध दर्ज कराया। सरकार ने बताया कि हमारे यहां 90 प्रतिशत भर्ती पूरी हो गयी है, और विश्वनाथ का डिप्लोमा हमारी नियमावली का पालन नही करता है। विश्वनाथ ने सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने  सूचना के अधिकार में शिक्षा विभाग से रिक्त पदों की संख्या चाही थी, जिसमें वर्तमान में रिक्त पद होने की पुष्टि होती है। उन्होंने रिक्त पदों पर अपने दावे को कानूनी रूप से वैद्य बताया, क्योंकि मामला सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 से जुड़ा था इसीलिए कोर्ट ने विश्वनाथ के दावे को तुंरन्त स्वीकार कर लिया। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि रिक्त 239 पदों पर तत्काल प्रभाव से तीन महीने के भीतर याचिकाकर्ताओं  को नियुक्ति प्रदान करें, साथ ही सरकार के सभी विरोध को ख़ारिज कर दिया है।

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विश्वनाथ ने सूचना अधिकार अधिनियम की सराहना की। उन्होंने आम जनमानस से अपील की है कि देश के सबसे मजबूत कानून सूचना का अधिकार का प्रयोग करके कोई भी अपने अधिकार को प्राप्त कर सकता है।

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