रावण वध और श्री राम राजतिलक के साथ श्रीरामलीला का समापन

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पौड़ी। ग्राम डंगला ग्रामसभा तिमली, विकास खण्ड द्वारीखाल में इस बार श्रीरामलीला मंचन का आयोजन ग्रीष्मकाल में किया गया। इस अविस्मरणीय मंचन का मुख्य उद्देश्य अपनी पारम्परिक सांस्कृतिक परम्पराओं को जीवित रख, नई पीढ़ी को भी हस्तांतरित व अवगत करवाया जाना है, जिससे भावी पीढ़ी को भी अपने पैतृक गांव, धरोहर, संस्कृति और परंपराओं के प्रति रुचि लगाव और आकर्षण पैदा हो सके। गांव में  लगभग 14 वर्षों पश्चात 2021 में श्रीरामलीला का मंचन शुरू किया गया। जीविकोपार्जन के लिए गांव से पलायन कर चुके अधिकांश परिवार तथा विवाहित महिलाओं (दीदी-भुलियों, बुआओं-फूफूओं) ने बार-बार यह अनुरोध किया कि श्रीरामलीला मंचन के पारम्परिक समय माह सितम्बर से नवम्बर के मध्य आयोजित होने के कारण उनके तथा उनके परिवार के सदस्यों द्वारा इसमें पूर्ण भागीदारी नहीं निभाई जा सकती, इसलिए श्रीरामला का मंचन ग्रीष्मावकाश में किया जाए। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस सत्र में श्रीरामलीला का मंचन दिशा ध्याणी श्रीरामलीला नाम से ग्रीष्मकाल में किया गया।

श्रीरामलीला कमेटी के संयोजक इंद्र मोहन डबराल ने अवगत कराया कि कार्यक्रम के लिए सर्वप्रथम पूरी ग्राम सभा के सम्मिलित गांव तिमली, डंगला नौबाड़ी, कण्डवाण-वाड्यू की सभी विवाहित दीदी-भुली, फूफू-बेटियों को विधिवत निमंत्रण-पत्र प्रेषित कर आमंत्रित किया गया। आमंत्रित सभी दीदी-भुली, फूफू-बेटियों के लिए गढ़वाली पारंपरिक विदाई कलेऊ-अर्सा भी गांव में ही तैयार किए गये। श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष सरदार सिंह गुसाईं ने अवगत कराया कि इस सत्र की श्री रामलीला मंचन के लिए कई बार ग्रामीण सदस्यों की बैठकर आयोजित की गई, पलायन कर चुके कई परिवारों द्वारा घर वापसी कर अपने पुश्तैनी मकान की मरम्मत का कार्य भी इसी कारण किया गया। संपूर्ण कार्यक्रम को आयोजित करने में महत्वपूर्ण निभाने वाले अनिल डबराल ने अवगत कराया कि इस प्रकार के आयोजन का मुख्य उद्देश्य वीरान हो रहे ग्रामीण क्षेत्रों में फिर से जागृति पैदा कर अपने पुश्तैनी धरोहरों को सुरक्षित रखना है। आमंत्रित सभी रिश्तेदारों के रहने और खाने की व्यवस्था श्रीरामलीला कमेटी ने की। समिति के सचिव दीपचंद कुकरेती एवं उपसचिव जेपी कुकरेती ने यह जानकारी दी कि श्रीरामलीला मंचन के कारण पूरा गांव पुन: आबाद दिखाई दे रहा है। जेपी कुकरेती ने बताया कि गांव की कई बेटियां-फूफू, जो शादी के बाद दशकों से गांव में नहीं आई थी, वर्तमान समय में श्री रामलीला मंचन से सबका आपस में मेल-मिलाप संभव हो पाया। दैनिक रूप से श्रीरामलीला मंचन का लाइव प्रसारण होने के बावजूद अन्य गांवों से बड़ी संख्या में दर्शकगण पंडाल में उपस्थित रहे। सबके अनुरोध पर अगले वर्ष भी ग्रीष्मकाल में ही श्री रामलीला का मंचन किया जाएगा। श्रीरामलीला कमेटी के कोषाध्यक्ष  सुमन डबराल तथा सांस्कृतिक मंत्री के तौर पर प्रचार प्रसार का कार्य राजेश डबराल ने किया। श्री राम की भूमिका अरुण डबराल, लक्ष्मण की भूमिका हर्ष डबराल, सीता का अभिनय कुमारी आयशा, रावण का चरित्र मुकेश कुकरेती, हनुमान की भूमिका नरेश डबराल ने अदा की। रामलीला मंचन के पूर्व नाट्य कलाकार चंद्रमणि कुकरेती, खुशीराम डबराल एवं राजेश डबराल ने भी महत्वपूर्ण चरित्र अदा किए। इसके अलावा प्रेरणा ने भरत की भूमिका, नवीन कुकरेती, गिरीश डबराल, कमलेश डबराल, भुवनेश डबराल, आशीष डबराल, मनोज कुकरेती, अमित डबराल, चन्द्रकान्त कुकरेती व नत्थी सिंह, नेहा ने किया। श्रीरामलीला मंचन में महत्वपूर्ण चरित्र तथा कार्यक्रम संम्पन्न करवाने में सुभाष डबराल, सुनील सिंह गुसाईं व विनीत डबराल, महेश कुकरेती, विनोद कुकरेती, रमेश कुकरेती ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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