अध्यापक कृपाल सिंह शीला ने -83 वर्षीय बचीराम जो आँखों से सूरदास हैं की कहानी को कुमाऊँनी यूँ बयाँ किया है-(मनकि आँखोंल देखी दुनी)

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एस आर चंद्रा

तहसील भिकियासैण के पटवारी क्षेत्र बासोट के चनुली सरपटा निवासी अध्यापक ने वास्तविक में करुणा भरी कहानी को बयां किया है-

भिकियासैण। य दुनी कैं देखणक लिजी सबुकैं आँखोंकि जरवत हुछ। बिना आँखों क्वे लै आदिमै. लिजी सिरफ अन्यार छु। हमर ग्राम सभा – चनुली- सरपटा क् चनुली गौं में रौणी श्री बचीराम ज्यूल आपण जीवनक 83 बसन्त मनक आँखोंल देखि हाली। लगभग 1939 में बौज्यू श्री धरमराम व ईज श्रीमती पना देवी घर में जनम हौछ। उनर जीवन भौत कष्टों और अभाव में बितौ। उनर बार में मैं य लेख उनर दिव्यांगता कैं उजागर करणक लिजी नि लेखण लागि रौय , बल्कि भल नजर / आँख वाल लोगों कैं / समाज बै उनुहां प्रेरणा लिणक लिजी संकलित करण लागि रयुं। बचीराम ज्यू हमर सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक धरोहर छैं ।

मैंकैं 23 नवंबर, 2020 हुणि उनर दगै उनर बार में विस्तारल बातचीत करणक मौक मिलौ। वोसिकै तो मैं आपण फाम हुणक दिनों बै लगभग अणतीस सालों बै उनुकैं ज्याणनु। जब हम छ्वट नान छिया ,तो हर हप्त झंजर हुणि ब्याव कबै उनरि क्ये भलि कैं मुरुलि बजाण सुणछी। बचीराम ज्यू आपणि जीवनकि कहाणि बतानी कि जब उं पैद हई , तो उं पेटै बटी जन्मांध नि छी। पैद हुणक बाद उनुकैं आँखों बीमारी आँखि लै गेई। आँखों में पुतव पड़णल आँखोंकि रोशनी जाते रहे। जब बचीराम ज्यू एक सालक छि तब उनर बौज्यू मरि गा्य।और जब उं द्वि सालक छि तब उनरि ईज लै उनुकैं बेसहारा छोड़ि बै य दुनी बै न्है गेई। वीक बाद उनुकैं उनर मकोटक बुबु उनुकैं आपण घर बंग्वड़ लिन्है गा्य। उनुल बताय कि उनर बुबु कतै रौछी, कि च्येलि जसि मरि गेई, य कणक मैं क्ये करुं। पन्दर साल बाद करनाल (हरियाणा) में आँखोंक अस्पताल में उनर आँखों कैं दिखाय तो आँखोंक भ्याहरक जाव पक्क हुणल आँखोंक रोशनी खतम है गेई। बचीराम ज्यू जनम बटी आज तिरासी सालकि उमर तक आँखों दिव्यांगता में जिण लागि रयी। लट्ठिक इशारल बची राम ज्यू बासोट बजार तक आजि लै यकलै म्हैण में एकाद बार जाते रौनी।

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हम यदि पाँच सेकण्ड लै आँख बन्द करि बेर कथाँ जुला तो हम मुण पड़ि जूल। पर बचीराम ज्यू कैं बिन आँखों लै आज तक कभै एक ठोकर तक नि लागि। उं कुनी बा्ट हमर खुटुकि पन्याहर करुंछ। बचीराम ज्यूल ब्या नि कर और उं एक एकाकी जीवन जिण लागि रयी। नजर नि हुणक वजैल, उनर लै कबीरदास ज्यू जस कुण छी।”मसि कागज छुयो नहीं, कलम गही न हाथ”। उनुल आपण कल्पना ओम लिखणक लिजी मिहाँ कलम कागज माँगौ, आपण कल्पनाक ओ3म् ल्यखौ , जो उनर हिसाबल ठीक छी। उनर भौत सार विशेषता छन। उं ना्न बटी ठुल तक जा दगै एक बार बात करि ल्यैल , वीकि आवाज कैं उं आजि लै पछ्याणि दिनि। उंनुल घर में दुकान लै धरि रै। और उं नोटु और सिक्कों कैं लै भलिकै पछ्याणि लिनी। थ्वोड़ा नयी नोट साइज में छ्वट हुणल दिक्कत है जै। एक आदिमक कन्ध में हाथ धरि उं भौत दूर – दूर तक भात – बर्यातों, नामकन, घरपैश,सप्ताह,देवी -भागवत ,रामलीला सुणुहुँ जाते रौछी। रामलीला, धार्मिक, भल कामों में बचीराम ज्यू आपण तरफ बटी आर्थिक व मनक सहयोग देते रौनी।

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उनुल कभै आपण जीवन में हीन भावना, निराशा, हताशा कैं नि पनपण दी। हमेशा उत्साह, मेहनतक साथ जीवन में आघिल बढ़ते रयी। य हम युवाओं लिजी उनरि प्रेरणा लै छु। और हमुकैं उनुहां बै प्रेरणा लिणकि जरवत लै छु। बचीराम ज्यूल आपण जीवन में भौत मेहनत, मजदूरी करी। कभै कैक एहसान पारि जिण नि सक। परिवारक लोगु दगै मिलिबेर रही। न्हौ बै मुनवम् ताँबक गागरैल रोज रात्ति – ब्याव उकाव बा्ट पाणि लिजाण म्यर गौं – सरपटा बै साफ देखियनेर भै।हमुल आँख होते हुए लै कतुक बार गागरि घुर्यै दी, पर बचीराम ज्यू दगै सायदै कभै यस हौय हुनल कि उनुल कभै गागरि भि लफाइ हुनैलि। पैली बै खूब खेति – पातिक कार हुछी ,तो उं खुद बल्द गोरु कै लै भ्यार -भितेर बांदि दिछी। घर में चहा गिलास धुण, भान माँजण,आपण कपड़ धूण भौत सार काम करि लिछी। यां तक कि धांच पारि ग्यौ न्हुवल मानिर बुणणक काम लै करि लिछी। जीवन में भल लोगुकि संगत करी। जब गौंनु में का्कै कुड़ि लागैछी , तो उमै ब्यलचक डोर खेचण, मा्ट चावौण, गार बनाण,ढुंग उच्याण काम करनेर भै। बचीराम ज्यू कैं भौत सार व्यवहारिक ज्ञान छी। उनुकैं जुकक, हाकक मंतर , छाव,मशाण लागण पारि वभूत मंतरण, वभूत फूकण ,पीलि झाड़ण हौर लै भौत सार घरेलू उपचार ज्याणनी। उनकैं भौत सार कुमाउनी ऑण्, लोककथा, किस्स, कंथ, कहानी,कहावत मुँह जुबानी याद छै। गंगनाथ, कत्यूर, बाला गोरिया जागरि लगाण, जागरि में कांसैकि थकुलि बजाण,ह्यो लगाण लै ज्याणनि। हुडुकैकि पूड़ मोणण , ज्यौड़ , झाइण बटौण हौर लै भौत सार छवट् – म्वट काम भलिकै करि लिनी। हाथ में लाट्ठिक सहार लिबै, कट्ट-कट्ट तिराई – निसाई दीवालक, ढुंग बजै बेर आजि लै गौं- बाखइ जाते रौनी। लट्ठि उनर लिजी आँखोंक काम करैछ। उमरक तकाज वजैल अब बचीराम ज्यू भौत- सार कामों कैं करण में अक्षम छैं। पर आजि लै उ गौं घरों में जो लै सांस्कृतिक / धार्मिक गतिविधि हुनी चाहे उ होलि हो, कौतिक हो, भागवत हो, डाई- बोटि लगाणक कार्यक्रम हो,उन सबुमैं आपण ओर बटी मनक, आर्थिक सहयोग देते रौनी।

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बचीराम ज्यू हमर गौं -इलाका्क सांस्कृतिक धरोहर छै। उनर भल ज्ञान कैं , उनर जीवन संघर्ष बै हम सबुकैं प्रेरणा लिणकि जरवत छु। नतर उनर पास जो समाजक लिजी उपयोगी ज्ञान छु, उ उनर मरण पारि उनरै दगै न्है जाल। उनर पास य दुनी कैं मनल देखि,कानुल सुणि भौत सार कटु अनुभव छै। कुमाउनी भाषाक शब्द – संपदा अथाह भंडार छु उनर पास। यस व्यवहारिक ज्ञान धारणी हमर गौंक सांस्कृतिक धरोहर श्री बचीराम ज्यू व्यक्तित्व, कृतित्व कैं नमन।

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