पति से तलाक मांगने वाली महिला को अदालत ने सुलह का मौका दिया

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नैनीताल, 30 अक्टूबर।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक महिला द्वारा पति से तलाक की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने दंपति को सुलह की संभावनाएं तलाशने के लिए परामर्श (काउंसलिंग) के लिए भेजा है।

मामले के अनुसार, महिला ने यह कहते हुए अपने पति से तलाक मांगा है कि उसका पति और ससुराल पक्ष स्वयंभू संत रामपाल के अनुयायी हैं और हिंदू रीति-रिवाजों का पालन नहीं करते। महिला का आरोप है कि पति के परिवार ने उस पर भी अपना धर्म और परंपराएं छोड़ने का दबाव बनाया।

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याचिका में महिला ने कहा कि उसके मंदिर को घर से हटा दिया गया और देवी-देवताओं की मूर्तियां बाहर रख दी गईं। उसने बताया कि वह एक धार्मिक महिला है और अपने पति के साथ रहना अब उसके लिए संभव नहीं है।

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महिला ने यह भी आरोप लगाया कि पति ने बेटे के नामकरण संस्कार से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि उसके आध्यात्मिक मार्ग में ऐसे संस्कारों की अनुमति नहीं है।

इससे पूर्व, नैनीताल की पारिवारिक अदालत ने महिला की तलाक अर्जी खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय में अपील की।

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न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक माहरा की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि दंपति के सात वर्षीय बेटे के भविष्य को देखते हुए सुलह की संभावनाएं तलाशना आवश्यक है, और मामले को परामर्श के लिए भेज दिया गया।

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