पिथौरागढ़ में उपभोक्ताओं की गाढ़ी कमाई डकार रहा डाक विभाग-
सुशील खत्री –पिथौरागढ़
पैसा तो ले लिया, एक माह बाद की तिथि में जारी की आरडी, टीडी, चालू खातों की पासबुकें
आरडी में भी उपभोक्ता को नहीं दिया पूरा धन, 13 हजार की लगाई चपत
पिथौरागढ़। सीमांत में डाक विभाग का हैरान करने वाला कारनामा सामने आया है। विभाग की लापरवाही के चलते कई लोग अपनी जमापूंजी गाड़ी कमाई गवां रहे हैं। विभाग ने लोगों से आरडी, टीडी और चालू खाता खोलने को पैसा ले लिया और उन्हें रसीद भी दे दी गई। लेकिन पैसा लेने की एक माह बाद की तिथि में पासबुक जारी कर डाली। उपभोक्ताओं की गाड़ी कमाई का एक माह का ब्याज तो डाक विभाग के खाते में जमा हुआ और उपभोक्ताओं को चपत लगाई गई। ऐसे कई मामले हैं जब विभाग ने उपभोक्ताओं के साथ ऐसा मजाक किया है।
मामला उप डाकघर जाजरदेवल से जुड़ा है। यहां डाक कर्मियों की लापरवाही इससे जुड़े उपभोक्ताओं पर भारी पड़ी है। कई उपभोक्ताओं ने इस उप डाकघर से जुड़े अन्य ग्रामीण डाकघरों में एक माह पूर्व आरडी, टीडी और चालू खाते खोले। विभाग ने उपभोक्ताओं से पैसा तो ले लिया। लेकिन एक माह बाद जब उपभोक्ताओं को पासबुक मिली तो मामले का खुलासा हुआ। सतगढ़ निवासी डॉ. पूरन प्रकाश कापड़ी ने कहा उन्होंने अपने पुत्र के नाम आरडी और टीडी खोली थी। लेकिन विभाग ने पैसा लेने के बाद उन्हें पासबुक 39 दिन बाद की तिथि में जारी की। एक माह से अधिक की अवधि का ब्याज डाक विभाग के खाते में जमा हुआ है और उन्हें खासी चपत लगी है। कहा कई बार डाकघर से संपर्क करने पर किसी तरह उन्हें पासबुक मिली। ऐसे में हम डाक विभाग पर भरोसा नहीं कर सकते। जाजरदेवल डाकघर में ऐसे कई ऐसे मामले हैं जिनमें पैसा लेने से एक या डेढ़ माह बाद की तिथि में पासबुक जारी कर उपभोक्ताओं की गाड़ी कमाई में सेंधमारी हुई है।
वहीं कूचा विषाड़ की एक उपभोक्ता को डाक विभाग ने 13 हजार की चपत लगाई है। हुआ यूं कूचा निवासी ममता मेहता ने किसी तरह आरडी खोली, जो बीते 29 जून को परिपक्व हो गई। उन्हें इसके ऐवज में 1 लाख 44 हजार मिलने थे। लेकिन विभाग ने उन्हें महज 1 लाख 31 हजार 777 देकर औपचारिकता पूरी कर ली। जब उपभोक्ता डाकघर पहुंची तो पता चला विभाग ने अपनी मर्जी से परिपक्व तिथि से पूर्व ही आरडी का खाता बंद कर दिया। इन हालातों में वे अब न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का मन बना रहीं हैं और लोगों का भरोसा डाक विभाग से उठने लगा है।
मामला खुलने के बाद विभागीय अधिकारी अब डाक विभाग के पास पासबुक न होने की बात कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। डाक अधीक्षक ललित जोशी का कहना है कि जिस तिथि में उपभोक्ता ने खाता खोला उसी तिथि में पासबुक जारी होती हैं। हो सकता है पासबुकों में खाता खोलने की तिथि दर्ज न हो। उपभोक्ताओं को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। आरडी में परिपक्वता के बाद कम धनराशि मिलने की जांच की जाएगी। उपभोक्ता को पूरा पैसा मिलेगा।
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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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