हाईकोर्ट ने बागेश्वर के निचली अदालत से मिली बलात्कार के आरोपी की 11 साल की सजा को किया रद्द

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नैनीताल। हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने बलात्कार के एक मामले में  11 वर्ष का कठोर कारावास सुनाने के जिला अदालत बागेश्वर के निर्णय को रद्द कर दिया। न्यायालय ने कहा कि नेपाली श्रमिक होने के नाते उस व्यक्ति को केवल इसलिए झूठा फंसाया गया क्योंकि वह एक लड़की से बात करता था, जो उसके भाई को पसंद नहीं था। 

लड़की की मां ने अप्रैल 2020 में बागेश्वर जिले के कांडा पुलिस स्टेशन में रिंकू उर्फ राधे पर उनकी बेटी के अपहरण और बलात्कार की प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

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न्यायालय में सुनवाई के दौरान लड़की ने बताया था कि उसके भाई ने उसे मोबाइल फोन पर बात करते देख थप्पड़ मार दिया था । शाम को वह रिंकू के पास वह मोबाइल फोन वापस करने गई जो उसने उसे एक महीने पहले दिया था।

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सुनवाई के दौरान न्याय मित्र ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि लड़की को आरोपी बहला-फुसलाकर ले गया था। यह लड़की के शोषण का मामला नहीं है। यौन उत्पीड़न की कहानी  लड़के को झूठा फंसाने के लिए गढ़ी गई थी। सरकार की ओर से कहा गया कि डीएनए रिपोर्ट से साबित हुआ कि लड़की का यौन उत्पीड़न किया था।

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