हाईकोर्ट ने निचली अदालत से दोषसिद्ध आरोपी की सजा में किया आंशिक संशोधन -यौन उत्पीड़न व पोक्सो की गम्भीर धाराओं से किया दोषमुक्त

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नैनीताल। हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न व पोक्सो एक्ट में निचली अदालत से दोषसिद्ध आरोपी उजैब की सजा में आंशिक संशोधन करते हुए उसे यौन उत्पीड़न व पोक्सो की गम्भीर धाराओं से दोषमुक्त करार दिया है । किन्तु बालिकाओं का पीछा करने व छेड़छाड़ करने की धाराओं में दोषी माना है । मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई। 

मामले के अनुसार विशेष सत्र न्यायालय द्वारा 15 जनवरी 2025 को अभियुक्त उजैब को धारा 354 आई पी सी, 7/8 तथा 11/12 पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी मानते हुए चार वर्ष तक की कठोर कारावास और जुर्माने की सजा दी गई थी। अभियोजन के अनुसार, अभियुक्त लगातार दो स्कूली छात्राओं का पीछा करता था। 14 फरवरी 2023 को जब दोनों बालिकाएं स्कूल से लौट रही थीं तो अभियुक्त ने फिर से पीछा किया और कथित रूप से एक पीड़िता से छेड़छाड़ का प्रयास किया। जिसकी प्राथमिकी पीड़िता की माता द्वारा दर्ज कराई गई थी।

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  हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि  रिकॉर्ड पर मौजूद दोनों पीड़िताओं के साक्ष्य स्वाभाविक एवं विश्वसनीय हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अभियुक्त ने बार-बार पीछा किया, जबकि उसे ऐसा न करने की चेतावनी दी गई थी। हालांकि, पीड़िताओं ने किसी भी प्रकार की शारीरिक छेड़छाड़ या बल प्रयोग का उल्लेख नहीं किया।

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इस आधार पर न्यायालय ने स्पष्ट किया कि आईपीसी की धारा 354 (स्त्री की लज्जा भंग करने हेतु हमला/बल प्रयोग) तथा पॉक्सो एक्ट की धारा 7/8 (यौन उत्पीड़न) की शर्तें पूरी नहीं होतीं। वहीं, आई पी सी की धारा 354-डी (स्टॉकिंग) और पॉक्सो एक्ट की धारा 11 (यौन उत्पीड़न) के तहत अपराध सिद्ध पाया गया।

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 पॉक्सो अधिनियम की धारा 12 एवं आई पी सी की धारा 354 डी, दोनों में अधिकतम सजा तीन वर्ष तक की ही है । ऐसे में अभियुक्त को केवल एक बार की सजा के लिए दंडित किया जा सकता है। 

 हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि आरोपी द्वारा पूर्व में बिताई गई सजा की अवधि को अंतिम सजा माना जाय और उसे तुरंत जेल से रिहा किया जाय ।

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