सरदार फकीर सिंह बाजवा को दी श्रद्धांजलि

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रूद्रपुर। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता डॉ गणेश उपाध्याय ग्राम छिनकी पहुंचकर बंटवारे के बाद पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत आए स्वर्गीय सरदार फकीर सिंह बाजवा के घर पहुंच कर उन्हें श्रद्धांजलि दी तथा उनके परिजनों से मुलाकात की तथा बंटवारे और उसके बाद वर्तमान तक उनके परिवार की स्थिति का जायजा लिया तथा उन्होंने कहा कि वर्ष 1919 में जन्में स्वर्गीय सरदार फकीर सिंह बाजवा का जीवन ऐतिहासिक धरोहर है तथा ऐसे विभाजन की विभीषिका सेनानी को वह नमन करते हैं। उन्होंने कहा कि देश को आजादी मिले 75 वर्ष से अधिक समय बीत चुका हैं, लेकिन बटवारे के दौरान पाकिस्तान से छिपते छिपाते हुए पंजाब पहुंचे विस्थापित परिवार दंगों से मिली पीड़ा अभी तक भूल नहीं सके हैं। पाकिस्तान के भरौक, सियालकोट से विस्थापित होकर कपूरथला , पंजाब पहुंचे सरदार फकीर सिंह बाजवा का परिवार सन् 1947 के दंगों में बुरी तरह टूट-बिखरकर यहां पहुंचे, लेकिन बाद में अपनी मेहनत के बल पर समाज में अलग पहचान बनाई। इसी अप्रैल माह में स्वर्गवासी हुए 105 वर्षीय सरदार फकीर सिंह बाजवा के परिवार के सदस्य दंगों से मिले दंश याद कर सिहर उठते हैं। विभाजन के दौरान पाकिस्तान के सियालकोट से कपूरथला, पंजाब तथा इसके बाद वहां से छिनकी, तहसील किच्छा आकर बसे सरदार फकीरा सिंह को शुरुआती दिन बेहद कठिनाइयों में बिताने पड़े, लेकिन आज उनके बेटों ने संयुक्त परिवार में रहते हुए अपना कारोबार इतना बढ़ा लिया है कि वह किसी परिचय के मोहताज नहीं है।

सरदार स्व० फकीर सिंह के पुत्र जिन्दर सिंह ने बताया कि भरौक, सियालकोट पाकिस्तान में उनकी जमीन जायदाद थी, बटवारे के दंगे में वह अपने सगे सम्बन्धियों के साथ एक मुस्लिम मित्र इस्माइल खान की मदद से बचे। इस्माइल की मदद से वह छिपते छिपाते पंजाब के कपूरथला तक पहुंचने में कामयाब हुए। बटवारे के दंगों में सब कुछ बिखर गया। अचानक घर जमीन जायदाद सब कुछ छोड़कर वहां से निकलना पड़ा। जिसके बाद वह कपूरथला में 18 एकड़ जमीन के अलाटमेंट के बाद उसमें खेती करने लगे । बाद में सन् 1952-53 में अपनी जमीन बेचकर किच्छा तहसील के छिनकी ग्राम में आकर 18 एकड़ जमीन खरीदी और उस पर खेती तथा अपना व्यवसाय करने लगे और अपने परिवार के साथ आकर बस गए तब से वह ग्राम छिनकी में ही रह रहे हैं। वर्तमान में स्व० फकीर सिंह बाजवा के परिवार में स्व० सरदार फकीर सिंह बाजवा के चार पुत्र जिन्दर सिंह , पूर्व प्रधान स्व० सतनाम सिंह, राम सिंह, पिन्दर सिंह, तीन बहन सिन्दर कौर, सतनाम कौर, बलविंदर कौर तथा महिपाल सिंह बोरा सहित अन्य तमाम लोग मौजूद हैं।

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