उत्तराखंड सरकार ने गेहूं किसानों को फिर से ठगा : उपाध्याय

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किच्छा। पूर्व दर्जा राज्यमंत्री व प्रवक्ता उत्तराखंड कांग्रेस डॉ० गणेश उपाध्याय ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि उत्तराखंड सरकार ने गेहूं किसानों को फिर से ठगा है। इस वर्ष गेहूं के समर्थन मूल्य में 110 रु० की वृद्धि करते हुए एम एस पी 2125 रु० किया है। जबकि वर्तमान में बेमौसमी बरसात वह महंगाई को देखते हुए देखते हुए 2400 ₹ प्रति कुंतल गेहूं का मूल्य निर्धारण सरकार को करना चाहिए। विगत 5 साल में महंगाई में 50 फीसदी बढ़ चुकी है, डीजल के दामों में 25रु० की वर्तमान में बढ़ोत्तरी हो चुकी है। किसानों को खेती के लिए बीज , खाद, दवाई, बुवाई, जुताई, कटाई, मजदूरी के दामों में भारी बढ़ौत्तरी हो चुकी है। किसान, व्यापारी, बेरोजगार, आम गृहणी सभी बुरी तरह इस महंगाई से त्रस्त और परेशान हैं। विधायकों का वेतन 3 गुना बढ़ा दिया गया है, तमाम सुविधाएं, भत्ते, पेंशन बढ़ाकर उसका बोझ गरीब जनता पर डाल दिया गया है। आम आदमी मंहगाई के बोझ से दबा जा रहा है। गेहूं की फसल पर प्रति एकड़ यदि किसान के खर्च को देखे तो 2 हैरो जुताई 1600 रु, पलेवा (नमी हेतु सिंचाई) 700 रू , जुताई 3 हैरा + बुवाई सीड ड्रिल + पटेला 3600 रू ,
मेड सिंचाई हेतु 300 रू, गेहूँ की पहली सिचाई + लेबर 1500रू, उर्वरक डी०ए०पी० 75 किलो० 1500रू, यूरिया 3 बोरी 900रू,
पेस्टी साइडस + स्प्रे मजदूरी 6500रू, शोध + दवाई 1500 रू,पेस्टी साइड डिटेल में गुल्ली डन्डा + गुकझ्या बथुआ मजदूरी आदि 1500 रू,गेहूँ के ग्रोथ के लिए जैसे एम.पी. के. +जाइम+साइड 250 रू, बालियों के लिए जैसे टील्ट + एलीमेंट + फन्डीसाइड 1500 रू, गेहूँ की दो सिंचाई 2500 रू, देखरेख हेतु चौकीदार 2000 रू,
खेत हेतु जमीन का रेन्ट 21000 रु, (मात्र 6 महीने की फसल हेतु रेंट)


हार्वेस्टिंग कम्बाइन लेबर मडाई
1800रू, गेहूँ मण्डी तक ले जाने का किराया 1000रू, गेहूं तुलाई तक अन्य खर्चे 500रू,
कुल धनराशि 30650 रु० प्रति एकड़ का खर्च गेहूं फसल पर आता है। इस हिसाब से किसान को प्रति एकड़ 18 कुंतल अगर मानते हैं( जबकि बेमौसमी बरसात की वजह से पैदावार प्रति एकड़ 15 या 16 क्विंटल मात्र हो पाएगी )पैदावार पर वर्तमान न्यूनतम समर्थन मूल्य के अनुसार सरकार द्वारा 38250 रु० दिया जायेगा, अर्थात प्रति एकड़ किसान को मात्र 7600 रु की बचत होती है। यदि किसान अपनी जमीन( ठेके) पर लेता है तो किसान को बचत होने की जगह 13400 रु० प्रति एकड़ का नुक़सान होता है। जिससे किसान गेहूं फसल से दूरी बना रहा है और गेहूं का रकबा घटता जा रहा है। सरकार ने किसानों को निराश किया है। यह सरकार किसानों की मित्र नहीं बल्कि शत्रु है। सरकारी नीतियों की वजह से खेती की लागत में लगातार वृद्धि हो रही है। खेती के लिए जरूरी हर चीज महंगी होती जा रही है। इस वर्ष लगातार बारिश और आपदा से किसानों की गेहूं पैदावार भी घट गयी है। लेकिन सरकार को किसानों की कोई सुध नहीं है।

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