अंबेडकर गांव टोडिल सड़क मार्ग से वंचित- एससी बाहुल्य तोक तोडिल से 15 परिवार पलायन कर गए- खड़ी चढ़ाई चढ़कर छात्र जाते है प्रतिदिन विद्यालय

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हरगोविंद रावल की रिपोर्ट
गंगोलीहाट से 20 किलोमीटर की दूरी पर डंम्डे गांव का टोडिल तोक रामगंगा नदी के तट पर बसा है। उक्त गांव को सरकार द्वारा अंबेडकर गांव घोषित किया गया है,इसके बावजुद भी तोडिल तोक के एस सी बाहुल्य 40 परिवारों में से 15 परिवार सड़क के अभाव में वर्षो पूर्व रोजगार की तलाश में गांव से पलायन कर गए। तोडिल तोक के किसान संतोष कुमार रुआसे मन से कहते है कि भाजपा व कांग्रेस की सरकारो ने विगत 20 वर्षों में उक्त अम्बेडकर गांव के एस सी बाहुल्य तोक को सड़क मार्ग से जोड़ा होता तो गांव के गरीब किसान रोजगार के लिए पलायन नही करते। बताते चले कि तोडिल गांव में वर्तमान में एस सी के 15 परिवार आदमयुग मे जीने के लिए विवश है क्योंकि अंबेडकर गांव होते हुए भी उक्त किसान बाहुल्य गांव को सड़क मार्ग से नही जोड़ा गया न ही उक्त गांव में सरकारो से मिलने वाला विकास का कोई बजट ही ग्राम प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्य पहुचाते है।

क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से लेकर कांग्रेस व भाजपा के नेताओ द्वारा रामगंगा के निकट बसे इस कृषि बाहुल्य तोक के लोगो को सिर्फ वोट लेने तक ही सीमित किया गया है जबकि तोडिल तोक में हर प्रकार की खेती बहुतायात में पैदा होती है लेकिन सड़क मार्ग से न जुड़े होने के कारण उक्त गांव के गरीब किसानों की जैविक सब्जियां,फल व अनाज बाजार तक नही पहुँच पाती है क्योंकि उक्त गांव से मुख्य सड़क तक पहुचने के लिए 5 किलोमीटर की विकट खड़ी चढ़ाई चढ़नी होती है। सोचनीय विषय यह है कि अंबेडकर गांव के लिए सरकारो द्वारा विकास कार्यो के लिए प्रचुर मात्रा में बजट अवमुक्त किया जाता हैं लेकिन इस गाँव की दुर्दशा को देखकर स्पष्ट दिखाई देता है कि दशको से तोडिल गांव में विकास कार्य नही हुए है। वर्तमान में तोडिल तोक के 25 परिवारों के सेंकडो ग्रामीण सड़क की बाट जोह रहे हैं क्योंकि उक्त गांव के प्राइमरी पाठशाला के बच्चो को 8 किलोमीटर के जंगल के रास्ते से व जूनियर व इंटर तथा आंगनबाड़ी डंम्डे के बच्चो को 10 किलोमीटर प्रतिदिन चलना पड़ता है। साथ ही उक्त बच्चो को जंगली जानवरों के भय के बीच मे जाना पड़ता है। वही निराश हो चुके तोडिल गांव के संतोष कुमार,गीता देवी,रिंकी देवी,लक्ष्मी देवी,सुमित्रा देवी,अफुली देवी,बलबीर प्रसाद,बीरेंद्र लाल,अंगद राम,नरेश चन्द्र व कृष्णा कुमार कहते है कि हम शायद यह जन्म बगैर सड़क के ही गुजार कर आदम युग मे जीने को मजबूर रहेंगे क्योंकि सरकारो व जनप्रतिनिधियों का इस गांव को सड़क से जोड़ने का इरादा कही से कही तक नही दिखता।

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