लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमले चिंता का विषय, पत्रकार सुरक्षा कानून अब भी अधर में
हल्द्वानी। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता पर लगातार हो रहे हमले अब एक गंभीर चिंता का विषय बन चुके हैं। एक ओर सरकार पत्रकारों की सुरक्षा और पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर पत्रकारों पर बढ़ते हमलों के मामलों में सरकार की उदासीनता साफ दिखाई देती है।
सोमवार को हल्द्वानी शहर स्थित ऊँचापुल क्षेत्र में खबर कवरेज के दौरान कुछ दबंगों ने पत्रकार दीपक अधिकारी के साथ मारपीट कर दी। बताया जा रहा है कि दीपक अधिकारी किसी समाचार की कवरेज करने मौके पर पहुंचे थे, तभी क्षेत्र के कुछ लोगों ने उनसे अभद्रता करते हुए हमला कर दिया।
मारपीट में घायल पत्रकार को तत्काल स्थानीय लोगों की मदद से कृष्णा अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
घटना की जानकारी मिलते ही क्षेत्र के पत्रकारों में आक्रोश व्याप्त है। पत्रकारों ने पुलिस प्रशासन से आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पत्रकारों का कहना है कि जब कलम की आवाज़ को दबाने की कोशिश होती है, तो यह केवल व्यक्ति पर नहीं बल्कि पूरे लोकतंत्र पर हमला होता है। ऐसे में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
इसी को लेकर नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट उत्तराखंड (NUJ) ने भी बार-बार सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की जोरदार मांग उठाई है। संगठन का कहना है कि वर्षों से मांग करने के बावजूद अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे पत्रकारों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
एनयूजे पदाधिकारियों का कहना है कि यदि जल्द ही राज्य और केंद्र सरकार पत्रकार सुरक्षा कानून लागू नहीं करतीं, तो संगठन आंदोलनात्मक कदम उठाने को मजबूर होगा।
पत्रकारों ने यह भी कहा कि —
“हम लोकतंत्र की आवाज़ हैं, अगर हमारी सुरक्षा खतरे में है तो लोकतंत्र की नींव ही हिल जाएगी।”
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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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