शासन-प्रशासन पर वन पंचायतों की उपेक्षा करने का आरोप-

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शिवेंद्र गोस्वामी
अल्मोड़ा। इनाकोट में संपन्न वन पंचायत सरपंच संगठन ताकुला की बैठक में वन पंचायतों की समस्याओं पर विचार-विमर्श किया गया तथा उनके समाधान हेतु शासन व प्रशासन से कारगर कदम उठाने की मांग की गयी। वन पंचायत सरपंच सगठन ताकुला के अध्यक्ष डूंगर सिंह भाकुनी की अध्यक्षता में संपन्न बैठक में वन पंचायत की स्वायत्तता बहाल करने, सरपंचों एवं पंचों को सम्मानजनक मानदेय देने, पंचायती वन का क्षेत्रफल गांव की आबादी एवं पशुधन के आधार पर निर्धारित करने, दावानल नियंत्रण हेतु वन पंचायतों के साथ मिलकर कार्य योजना तैयार करने, ब्लाक से लेकर राज्य तक परामर्शदात्री समितियों का गठन यथाशीघ्र करने, वन पचायतों को नियमित वजट उपलब्ध कराने, लीसा रायल्टी का भुगतान समय पर करने तथा वन पंचायतों के चुनाव समूचे प्रदेश में एक साथ गुप्त मतदान द्वारा कराये जाने की मांग की गयी। इस अवसर पर वक्ताओं ने शासन, प्रशासन पर वन पंचायतों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि ब्रिटिश हुकूमत के साथ लम्बे संघर्ष के बाद हासिल एवं गौरवशाली इतिहास को समेटे वन पंचायतें आज भारी संकट के दौर से गुजर रही हैं। एक तरफ नियमावली के जरिये वन पंचायतों के अधिकारों में लगातार कटौती की जा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ पंचायती वनों के विकास हेतु चलाई जाने वाली विभिन्न योजनांए कुछ चयनित वन पंचायतों में ही चलाई जा रही हैं। अधिकांश वन पंचायतों को कोई भी बजट नहीं मिल पा रहा है।

उन्होंने दावानल नियंत्रण हेतु वन विभाग द्वारा वन पंचायतों के साथ समन्वय स्थापित करने हेतु कोई कारगर कदम न उठाये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया तथा ग्रामीणों से वनाग्नि नियंत्रण हेतु सहयोग करने की अपील की। बैठक को सरंपच संगठन के संरक्षक ईश्वर जोशी, बालम सिंह सुयाल, प्रताप सिंह नेगी, चन्दन सिंह बिष्ट, सचिव दिनेश लोहनी, कोषाध्यक्ष बहादुर सिंह मेहता, सरपंच जया कांडपाल, नंदी देवी, प्रकाश चन्द्र सुंदर पिलख्वाल, जगदीश सिंह, दरबान सिंह आदि ने संबोधित किया। संचालन सरपंच संगठन के सचिव दिनेश लोहनी ने किया।

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