भिकियासैंण में पैनशर्स का धरना पैंतालीसवें दिन भी जारी-

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एस आर चंद्रा की रिपोर्ट-

भिकियासैंण। तहसील मुख्यालय भिकियासैंण में पैनशर्स का धरना आज़ पैंतालीसवें दिन भी जारी रहा। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज सल्ट विकासखंड के पैशनर्स ने धरना दिया परन्तु सरकार की ओर से अभी तक कोई पहल नहीं हुई है । सरकार के इस रुख से ऐसा लगता है कि, सीनियर सिटीजन का यह ऐतिहासिक आंदोलन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के बाद ही समाप्त होगा। आन्दोलन स्थल पर इकानव्वे बर्ष की उम्र पार कर चुके देब सिंह घुगत्याल ने मांग नहीं माने जाने पर आमरण- अनशन करने की चेतावनी दी है,वहीं एक सौ वर्ष की उम्र पार कर चुके इन्द्र सिंह अधिकारी भी रोज़ धरना देने पहुंच रहे हैं धरने में बैठे अधिकतर लोग ऐसे हैं जिनकी हार्ट सर्जरी हुई है तो किसी के प्रोस्टैट ग्लैड का आपरेशन हुआ है।

यहां तक की वह पेशाब की थैली हाथ में लिए धरने में शामिल हो रहा है कोई पांवों से चल नहीं पा रहा है अशोज के काम धन्धे के दिन भी इनके पांवों में बेड़ियां नहीं डाल सका,ऐसा विचित्र आन्दोलन आज तक देखने को नही मिला। आन्दोलन स्थल पर उनके प्रेरणा दायक जन गीतों की बुलंद आवाज तहसील परिसर में वातावरण को गुंजायमान कर दे रही हैं । और दिन भर सरकार विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं । उनके जज्वे को देखकर सचमुच कभी बड़ी हैरानी हो जाती है। ऐसा लगता है वें अपनी मांग को मनाकर ही दम लेंगे। बैठक को सम्बोधित करते हुए संगठन के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने शासनादेश की कमियों को बड़े विस्तार से समझाया उन्होंने कहा शासनादेश में त्रिस्तरीय शिकायत निवारण समिति बनाने का उल्लेख है परन्तु तीन साल बाद भी समिति अस्तित्व में नहीं आयी है राजकीय कर्मचारियों व पैंशनर्स एवं उनके परिवार के लिए डाईग्नोस्टिक सेन्टर व औषधालय पंजीकृत किए जाने हैं परन्तु अभी तक एक भी ऐसे कोई सेन्टर पंजीकृत नहीं किए गए हैं। शासनादेश में आईं टी व्यवस्था के अंतर्गत इलाज में हुए खर्च का भुगतान किया जाना है इसका मतलब है ओपीडी भी कैस लैश होगी लेकिन यह सफेद झूठ साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि, शासनादेश में असीमित इलाज किए जाने का उल्लेख किया है परन्तु दूसरी तरफ शासनादेश में ही इलाज के लिए पैकेज दिया गया है उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि आंखो के आपरेशन के लिए साढ़े सात हजार रुपए निर्धारित किए गए हैं जबकि आंखों के आपरेशन पर तीस हजार रुपए से भी अधिक धनराशि खर्च हो रही है । गोल्डन कार्ड के लिए पूरे देश में पच्चीस हजार से भी अधिक चिकित्सालयों को सूचीबद्ध किया गया है परन्तु प्रदेश के अन्दर सरकारी अस्पताल भी इस गोल्डन कार्ड को स्वीकार नही कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कई पैंशनर्स व कर्मचारी वर्तमान में प्राधिकरण द्वारा सूचीबद्ध चिकित्सालयों में अपना इलाज करा रहे हैं परन्तु उन्हें गोल्डन कार्ड का लाभ नहीं मिल रहा है। दूसरी ओर कुछ पहुंच रखने वाले लोगों का इलाज प्रदेश से बाहर के चिकित्सालयों में भी बड़ी आसानी से हो रहा है सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक तैतालीस लोग प्रदेश से बाहर अपना इलाज करा चुके हैं। तड़ियाल ने अपने संबोधन में कहा इसमें पैसे की बन्दर बांट हो रही है। केवल प्रचार प्रसार पर ही 2,84,77,600 रुपए खर्च किए गए। आश्चर्यजनक बात यह है कि अप्रेल महीने में हुए कुम्भ मेले में प्रचार प्रसार पर लगभग ढाई करोड़ रुपए खर्च किए गए जब कि इसके लिए केन्द्र सरकार व राज्य सरकार अपने अपने ओर से करोड़ों रुपए खर्च करते हैं। प्राधिकरण की वर्षगांठ पर करीब साठ लाख रुपए खर्च हुए प्राधिकरण ने अपने आफिस के किराये पर ही लगभग चार करोड़ रुपए का अनुबंध एक प्राईवेट कम्पनी से किया है। शासनादेश में योजना को संचालन करने के लिए दो बांडी बनाई गई हैं उसमें एक है गवर्निंग बॉडी शासकीय सभा यह बांडी शीर्षस्थ संस्था के रूप में कार्य करेगी दूसरी है कार्यकारिणी समिति यह समिति योजना के क्रियान्वयन करेंगी। परन्तु दोनों समितियों में एक ही लोग रखे गए हैं उसमें भी सचिव स्तर के अधिकारी बैठकों में कम प्रतिभाग करते हैं। यानी नीचे के पांच छः लोग ही पूरी योजना को संचालित करते हैं।

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इसमें हैरत में डालने वाली बात यह है कि, शासन की ओर से आदेश करने वाला अधिकारी व प्राधिकरण का आहरण वितरण अधिकारी एक ही व्यक्ति है। उन्होंने सभी कर्मचारियों पैनशर्स व आम जनता से भी इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में सरीक होने का आह्वान किया है। बैठक में वक्ताओं ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की पुरजोर मांग की। बैठक को सेवानिवृत जिला विद्यालय निरीक्षक श्री डी एस नेगी, शंकर शरण सिंह बिष्ट, भगतसिंह बिष्ट, प्रहलाद सिंह बसनाल, बहादुर सिंह रावत, बलवंत राम आर्य, डी डी लखचौरा, तिल राम आर्य, देब सिंह घुगत्याल, खीमानंद जोशी, मोहन सिंह नेगी, किसन सिंह मेहता, दान सिंह बिष्ट, प्रेम सिंह बिष्ट, धनीराम टम्टा, रमेश चंद्र सिंह बिष्ट, एस एस मावड़ी, यू डी सत्यबली, राम सिंह बिष्ट, कुन्दन सिंह बिष्ट, मदन सिंह नेगी, गंगा दत्त शर्मा, आनन्द प्रकाश लखचौरा आदि लोगों ने सम्बोधित किया।

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