कमजोर विधायी नेतृत्व के कारण राज्य में अपने लोगों को ही नहीं मिल रहा न्याय : मर्तोलिया

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कविता रावल

पिथौरागढ़। अंकिता भण्डारी हत्याकांड की सीबीआई जांच के इंकार के बाद उत्तराखंड के जन संगठनों में उबाल है। पंचायत प्रतिनिधियों ने उच्च न्यायालय द्वारा याचिका खारिज किए जाने पर सरकार के सिर ठिकरा फोड़ा। उन्होंने कहा कि वीआईपी का नाम छुपाने के चक्कर में हाईप्रोफाइल साजिश सफल हो गयी है।
अंकिता भण्डारी हत्याकांड एवं यौन शोषण से जुड़े मामले में सीबीआई जांच के लिए उच्च न्यायालय नैनीताल में दायर याचिका को खारिज कर दिया गया है।

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याचिका खारिज होते ही नार्को टेस्ट के लिए सहमति पत्र दे चुके दो आरोपियों ने सहमति पत्र वापस लेकर नार्को टेस्ट के लिए मना कर दिया है। सरकार की ओर से न्यायालय में सीबीआई जांच नहीं करने पर हुई पैरवी के कारण यह स्थिति पैदा हुई है।


अंकिता भण्डारी की हत्या के बाद जिस तरह से उत्तराखंड में जगह – जगह पर जो प्रतिवाद, उबाल आया था, उसमें फिर गर्माहट की संभावना है।
जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने कहा कि अब उत्तराखंड के बुद्धिजीवियों तथा कुर्सी में बैठे नेताओं को आगे आकर आंदोलन की बागडोर संभाल कर आम जनता का नेतृत्व करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस केस में वीआईपी का नाम बाहर न आए, इसलिए सीबीआई जांच से बचा जा रहा है। उन्होंने कहा सरकार चुपचाप बैठी हुई है।
उन्होंने कहा कि पहाड़ की बेटियों की इस तरह से हो रही हत्याओं पर समाज को आगे आकर सरकार पर दबाव बनाना होगा।

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उन्होंने कहा कि हमें चुपचाप अन्याय को स्वीकार नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उत्तराखंड में कमजोर विधायी नेतृत्व के कारण राज्य अपने लोगों को ही न्याय नहीं दे पा रहा है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए पिथौरागढ़ जिले में आंदोलन की रणनीति बनाई जा रही है।

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