पंचायत चुनाव में फिर लग सकता है ग्रहण -हाईकोर्ट ने कहा : एक से अधिक मतदाता सूची में नाम होने पर नामांकन वैध नहीं, सुनवाई आज

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों से जुड़ी एक महत्वपूर्ण याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग की जारी की गई एक स्पष्टीकरण पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह स्पष्टीकरण उन उम्मीदवारों के संबंध में था जिनका नाम एक से अधिक ग्राम पंचायत, क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्र या नगर निकाय की मतदाता सूची में दर्ज है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर एवं न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने चमोली निवासी शक्ति सिंह बर्त्वाल की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि निर्वाचन आयोग की ओर से दिया गया यह स्पष्टीकरण, उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम, 2016 की धारा 9 की उपधारा (6) और (7) के स्पष्ट प्रावधानों के प्रतिकूल है।
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि राज्य में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहाँ उम्मीदवारों के नाम एक से अधिक मतदाता सूचियों में दर्ज हैं, इसके बावजूद उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति दी जा रही है, जो पंचायत राज अधिनियम 2016 की धारा 9 की उपधारा 6 के खिलाफ है । जिसमें एक से अधिक जगह मतदाता सूची में नाम होने पर चुनाव लड़ने या मतदान करने पर रोक है। जबकि चुनाव आयोग की ओर से बताया गया कि उक्त धारा की उपधारा 13 में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में है तो उसे मतदान करने अथवा चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता । इसी आधार पर आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों को स्पष्टीकरण जारी किया था।
इसी तरह धारा 9(7) यह कहती है कि यदि किसी व्यक्ति का नाम किसी नगर निगम, नगरपालिका या छावनी परिषद की मतदाता सूची में दर्ज है, तो वह पंचायत चुनाव में तभी नामांकन कर सकता है जब यह सिद्ध कर दे कि उसका नाम उस शहरी निकाय की मतदाता सूची से हटा दिया गया है।
कोर्ट ने माना कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दी गई स्पष्टीकरण इन दोनों प्रावधानों के विपरीत है और यह प्रथम दृष्टया कानून के विरुद्ध है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि “निर्वाचन आयोग का यह स्पष्टीकरण स्थगित किया जाता है तथा उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।”इस मामले की अगली सुनवाई अब 11 अगस्त 2025 को निर्धारित की गई है।
चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि अब नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और दो जगह वोटर लिस्ट में नाम वाले प्रत्याशियों के नामांकन वैध ठहराए जा चुके हैं। जिस पर कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि वे इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं।





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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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