बोर्ड परीक्षा देकर घर लौट रही छात्रा के साथ अश्लीलता करने के आरोपी को पांच साल का कठोर कारावास

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नैनीताल। जिला एवं सत्र न्यायाधीश नैनीताल सुबीर कुमार की अदालत ने बोर्ड परीक्षा देकर घर लौट रही छात्रा के साथ अश्लीलता करने के आरोपी को पांच साल के कठोर कारावास व दस हजार के अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। कोर्ट ने मामले में एक छात्रा, पीडि़ता के परिजनों व गवाहों के आरोपों के मुकरने के बावजूद महत्वपूर्ण फैसला दिया है।  अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी सुरेन्द्र सिंह बिष्ट पुत्र विरेन्द बिष्ट निवासी ग्राम कॉल, पट्टी सुन्दरखाल, तहसील धारी, जिला नैनीताल के खिलाफ 25 जून 2020 को दो छात्राओं ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि जब वे अपनी बोर्ड परीक्षा देकर घर को पैदल वापस आ रहे थे तो आरोपी सुरेन्द्र ने दोनों को रास्ते में रोककर उनके साथ अभ्रद भाषा का प्रयोग कर छेडख़ानी की तथा पीडि़ताओं के विरोध करने पर आरोपी ने उन्हें एवं उनके परिजनों को देख लेने की धमकी दी।

जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी नैनीताल सुशील कुमार शर्मा ने तथ्यों को साबित करने हेतु 10 गवाहों को न्यायालय में पेश किया, लेकिन पीडि़ता को छोड़कर अन्य एक छात्रा व गवाहों ने अभियोजन तथ्यों का समर्थन नहीं किया। जिस कारण उन्हें पक्षद्रोही घोषित किया गया। मामले में पीडि़ता ने अरोपी के विरूद्ध बयान देते हुए तथ्यों का पूर्ण समर्थन करते हुए बयान दर्ज कराए। जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुबीर कुमार ने अपने निर्णय में कहा कि आरोपी ने पीडि़ता के साथ उस समय छेड़छाड़ व गाली-गलौज की, जब पीडि़ता परीक्षा देकर आ रही थी। पीडि़ता का घर ग्रामीण क्षेत्र में है, पीडि़ता का घर विद्यालय से पांच किमी. दूर है, ऐसी स्थिति में आरोपी ने पहाड़ी क्षेत्र के निर्जन एवं खाली स्थान का लाभ उठाकर पीडि़ता की लज्जा भंग करने का प्रयास किया। प्राय: देखने में आया है कि स्कूल जाने वाली छात्राओं के साथ कई लड़के शरारत करते हैं, जिस कारण छात्रायें न केवल स्कूल जाने में परेशान होती है, बल्कि पढ़ाई भी छूट जाती है। कोर्ट ने पीडि़ता के साथ लज्जा भंग करने के उद्देश्य से आपराधिक बल का प्रयोग करने के जुर्म में पांच वर्ष का कठोर कारावास एवं 10 हजार रुपए अर्थदण्ड तथा अर्थदण्ड जमा न करने पर दो माह का अतिरिक्त कारावास एवं धारा 504 भादसं के अन्तर्गत एक माह का कठोर कारावास एवं एक हजार अर्थदण्ड, अर्थदण्ड अदा ना करने पर 15 दिन का कारावास की सजा सुनाई। साथ ही आरोपी जो पूर्व में जमानत पर रिहा था, उसे न्यायिक हिरासत में लेकर सजायाफती वारंट के माध्यम से सजा भुगतने के लिए जेल भिजवाया। आरोपी के अर्थदण्ड जमा करने पर सात हजार की धनराशि पीडि़ता को बतौर क्षतिपूर्ति अदा करने का भी आदेश दिया है।

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