हार्डी संधू ने ग्राफिक एरा भीमताल में बिखेरा सुरों का जादू -धमाकेदार लाइव परफॉर्मेंस से छात्रों को किया मंत्रमुग्ध


भीमताल, 1 जून। उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों और शांत झीलों के बीच स्थित ग्राफ़िक एरा, भीमताल का परिसर शनिवार की शाम संगीतमय रोशनी, ऊर्जा और उल्लास से गूंज उठा। इस शाम का अवसर तब और भी खास बन गया जब बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक हार्डी संधू ने अपने धमाकेदार लाइव परफॉर्मेंस से छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया। हजारों की संख्या में एकत्रित छात्र-छात्राओं के बीच यह कार्यक्रम यूनिवर्सिटी के सांस्कृतिक इतिहास की सबसे यादगार शामों में दर्ज हो गया।

शुरुआत से ही हार्डी संधू ने मंच पर अपनी उपस्थिति का जादू बिखेर दिया। जैसे ही उन्होंने “बिजली बिजली” की धुन छेड़ी, पूरा परिसर एक सुर में थिरक उठा। इसके बाद “नाह”, “तितलियाँ वरगा”, “बैकबोन”, “हॉर्न ब्लो”, “जी करदा” और “सोच” जैसे सुपरहिट गीतों ने छात्रों को उत्साह और उमंग से भर दिया। हर बीट पर झूमते युवाओं की ऊर्जा ने उस शाम को एक महोत्सव में बदल दिया।
जब उन्होंने “ना जाने क्यूँ तेरे बिना रहना पावे…” जैसे भावनात्मक गीत की प्रस्तुति दी, तो पूरा परिसर एक पल को ठहर-सा गया। हजारों मोबाइल फोन की फ्लैशलाइट्स एक साथ जल उठीं और एक भावनात्मक माहौल बन गया, जिसने सभी को भाव-विभोर कर दिया।
“तेरे उत्ते मरदा ऐ दिल…” की गूंज जब “बैकबोन” के माध्यम से दर्शकों तक पहुंची, तो हर्ष और उल्लास की लहर पूरे परिसर में दौड़ गई। हर कोना संगीत से सराबोर था, और भीमताल की प्राकृतिक सुंदरता के बीच यह संगीतमय शाम हर दिल पर छा गई।
इस भव्य आयोजन की शोभा बढ़ाने के लिए ग्राफ़िक एरा ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन्स के अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) कमल घंसाला, उपाध्यक्ष डॉ. राखी घंसाला, भीमताल कैम्पस के निदेशक, वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य और अन्य प्रशासनिक अधिकारीगण उपस्थित रहे। साथ ही, उत्तराखंड के नैनीताल जनपद के कई गणमान्य अधिकारी भी इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए, जिससे इस आयोजन की गरिमा और भी बढ़ गई।
प्रो. घंसाला ने अपने संबोधन में कहा, “इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल मनोरंजन का माध्यम होते हैं, बल्कि यह छात्रों में नेतृत्व, समर्पण और एकजुटता के साथ-साथ जीवनभर की स्मृतियाँ भी निर्मित करते हैं।”
यह संगीत कार्यक्रम केवल सुरों का उत्सव नहीं था, बल्कि हजारों युवाओं के दिलों की साझा भावना बन गया। देशभर से आए छात्र-छात्राएं एक सुर और ताल में झूमते नज़र आए – इसने सिद्ध कर दिया कि संगीत किसी सीमा का मोहताज नहीं होता।
रात गहराती रही, पर हार्डी संधू के गीतों की गूंज और उस शाम की यादें हर दिल में देर तक बनी रहीं। उन्होंने न सिर्फ़ एक प्रस्तुति दी, बल्कि भीमताल की वादियों में संगीत और खुशियों की एक अमिट छाप छोड़ दी, जो आने वाले वर्षों तक सभी के दिलों में जीवित रहेगी।



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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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