“निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा”-पूर्णाहुति के साथ कथा का समापन, महाभंडारा आज

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कविता रावल
विश्व प्रसिद्ध मां जगत जननी महाकाली मंदिर गंगोलीहाट के प्रांगण में श्रीमद भागवत कथा महापुराण के सातवे दिन कथा वाचक व्यास आचार्य नरेश चंद्र शास्त्री ने मुख्य यजमान जमुना दत्त भंडारी से गणेश पूजा,पंचामृत स्नान, मातृ पूजा, भागवत पूजा विधि विधान से संपन्न कराई। कथा के दौरान कथा व्यास नरेश चंद्र शास्त्री ने सुदामा चरित्र,गोपी उद्धव संवाद,भगवान का परम धाम जाना, भागवत के संकीर्तन का महत्व का विस्तार से वर्णन सुनाया। उन्होंने कहा गृहस्थ जीवन मनुष्य का सबसे कठिन जीवन है लेकिन जो मनुष्य गृहस्थ जीवन की सभी प्रकार की जिम्मेदारियों को कुशलता पूर्वक निर्वहन करता है वह ईश्वर को सबसे अधिक प्यारा होता है।

उन्होंने कहा दान उसी को देना चाहिए जो उसका पात्र हो। वही उन्होंने कहा कि
“निर्मल मन जन सो मोहि पावा।
मोहि कपट छल छिद्र न भावा “।।
भगवान को स्वच्छ मन का मनुष्य ही प्राप्त होता है और कपट,छल छिद्र वाले मनुष्य से भगवान दूर रहते है। कथा के पश्चात आरती हुई और 9 ब्राह्मणों द्वारा हवन यज्ञ में पूर्णाहुति दी गई,उसके बाद सभी भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। रात्रि में 9 बजे से 12 बजे तक भजन कीर्तनो का आयोजन हुआ जिसमें दर्जनों महिला, पुरुषों व युवाओं ने भाग लिया। व्यास नरेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि हर 6 माह में महाकाली मंदिर गंगोलीहाट में उनके द्वारा यज्ञ किया जाएगा। उन्होंने भागवत कथा पुराण के दौरान सहयोग करने वाले सभी भक्तो को आशीर्वाद दिया और कहा कि श्री फटक शिला ज्योतिष एवं साधना केंद्र हल्द्वानी महाकाली मंदिर गंगोलीहाट में समय समय पर धर्मार्थ के काम करते रहेगी। मुख्य यजमान जमुना दत्त भंडारी ने समस्त क्षेत्र के भक्तो से शनिवार की सुबह 10 बजे से महाभंडारे में आकर प्रसाद गृहण करने की अपील की।

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