दिल्ली में पुराने वाहनों को 31 मार्च के बाद नहीं मिलेगा पेट्रोल, डीजल
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दिल्ली सरकार ने शनिवार को कहा कि एक अप्रैल से राष्ट्रीय राजधानी के पेट्रोल पंप 15 और 10 साल से पुराने वाहनों को क्रमश: पेट्रोल और डीजल नहीं देंगे।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने प्रदूषण रोधी उपायों पर चर्चा के लिए अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद कहा कि पेट्रोप पंप पर ऐसे उपकरण लगाए जाएंगे जो अधिक पुराने वाहनों की पहचान करेंगे और उन्हें ईंधन नहीं दिया जाएगा।
सरकार के इस कदम का उद्देश्य वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर अंकुश लगाना तथा शहर में वायु प्रदूषण से निपटना है, जो निवासियों के लिए निरंतर एक चुनौती बनी हुई है।
पत्रकारों से बात करते हुए मंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार इस निर्णय के बारे में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सूचित करेगी, जिसके बाद मंत्रालय शहर के पेट्रोल पंप मालिकों को अधिसूचित करेगा।
शहर में 425 से अधिक पेट्रोल पंप हैं।
बैठक के बाद सिरसा ने कहा, ‘‘हम पेट्रोल पंप पर ऐसे उपकरण लगा रहे हैं, जो 15 साल से पुराने वाहनों की पहचान करेंगे और उन्हें ईंधन नहीं दिया जाएगा।’’
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 10 साल से पुराने डीजल वाहनों को भी 31 मार्च के बाद ईंधन नहीं दिया जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार, पेट्रोल और डीजल चालित ऐसे करीब 55 लाख वाहन हैं, जिनमें से 66 प्रतिशत दोपहिया और 54 प्रतिशत चार पहिया वाहन हैं।
सरकार की योजना दिसंबर 2025 तक, दिल्ली में सीएनजी चालित करीब 90 प्रतिशत सार्वजनिक परिवहन बसों को हटाने और उनकी जगह इलेक्ट्रिक बसें परिचालित करने की है, ताकि स्वच्छ और अधिक टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा दिया जा सके।
नये नियमों के कार्यान्वयन के बारे में अधिक जानकारी देते हुए अधिकारी ने कहा कि दिल्ली के कई पेट्रोल पंप ने प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाणपत्र नियमों के उल्लंघन की जांच के लिए पहले ही एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से लैस कैमरे लगाए हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘‘ये कैमरे वर्तमान में उन वाहनों का पता लगाते हैं जिनके पास पीयूसी प्रमाणपत्र नहीं है और पेट्रोल पंप कर्मी ऐसे वाहनों को ईंधन देने से इनकार कर देते हैं। हम वाहनों के अधिक पुराने होने का पता लगाने के लिए एआई से लैस कैमरों का भी उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए हमें अपनी प्रणाली को अद्यतन करने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा कि जिन पेट्रोल पंप पर अभी ऐसे उपकरण नहीं हैं, वहां जल्द ही इन्हें लगाया जाएगा। इसके अलावा, दिल्ली सरकार अधिक पुराने वाहनों की पहचान करने के लिए टीम तैनात करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसे वाहनों को शहर में प्रवेश करने से रोका जाए या यदि वे पहले से मौजूद हैं तो उन्हें हटा दिया जाए।
नवंबर में, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सर्दियों के महीनों में, वाहनों से होने वाला उत्सर्जन दिल्ली में प्रदूषण के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार है – इसकी (वाहनों से उत्सर्जन की) मात्रा पराली जलाने, सड़क की धूल या पटाखे फोड़ने से भी अधिक है।
दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष निश्चल सिंघानिया ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली में 15 साल से पुराने वाहनों पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास बिना प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाण पत्र वाले वाहनों का पता लगाने के लिए पहले से ही उपकरण हैं और मुझे लगता है कि उसी प्रणाली का उपयोग 15 साल से अधिक पुराने वाहनों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।’’
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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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