हिमालय दिवस पर भारत सरकार के तत्वाधान में कार्यक्रम आयोजित-

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एस आर चंद्रा

भिकियासैंण। भारत का मुकुट कहलाने वाले पर्वतराज हिमालय के समस्त देशवासियों को समर्पित दिवस “हिमालय दिवस ” पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय, (दिल्ली) भारत सरकार के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में ग्राम प्रधान कनोणी (मासी) गिरधर बिष्ट को हिमालय दिवस पर (हिमालय का महत्व व हमारी जिम्मेदारी) सेमिनार में जल शक्ति मंत्रालय (नमामि गंगे) भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया जिसमें नमामि गंगे के डायरेक्टर जनरल राजीव रंजन मिश्रा द्वारा गिरधर बिष्ट को सम्मान दिया गया. जिसमें प्रधान गिरधर बिष्ट ने कहा कि यह सम्मान समस्त रामगंगा घाटी को समर्पित करते हैं।

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जिनके परस्पर जन सहयोग से वो धरातल पर जमीनी कार्य करने में सफल हुए है। आज पहाड के हर गॉव मैं ठोस व तरल कूड़े के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है । हमें भारत वर्ष में नदियों के जल का ७०% स्प्रिंगफेड यानि पारम्परिक प्राकृतिक जल स्रोत है, जो वनाच्छादन की कमी, वर्षा का अनियमित वितरण एवं अनियंत्रित विकास प्रक्रिया के कारण सूखते जा रहे हैं।  इस हिमालयी राज्य में स्प्रिंगशेड ( नौले-धारे का रिचार्ज क्षेत्र) संरक्षण, संवर्धन पर असल हितधारक स्थानीय जन समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करनी ही होगी । कुमाऊँ मंडल में परस्पर जन सहभागिता से पहाड़ पानी परम्परा के सरंक्षण संवर्धन में लगी है। आज पर्वत राज हिमालय के बारे में हम मिलकर एक नई सोच स्थापित करें, जिसमें समाज और सरकार का समन्वय हो, स्थानीय समुदायों को साथ लेकर ही हिमालय सरंक्षण नीति बनायीं जाय, जिसमें जल जंगल, और जमीन के तहत हिमालय की सामाजिक,आर्थिक, परिस्थितिक, जैव विविधता, व सांस्कृतिक पहलुओं पर कुछ विशेष नियम बनाये जाएं, जिनका किसी भी प्रकार का उल्लंघन दण्डनीय हो। सच मानिए जलवायु परिवर्तन व अनियंत्रित दोहन से हिमालय की मौत हुई तो यह देश का अस्तित्व क्या बचेगा? आज 100 करोड़ से ज्यादा का पर्यटन व्यापार देता है हिमालय, बदले में हम क्या वापस करते है, ये आज का महत्वपूर्ण प्रश्न है।
: कार्यक्रम में नमामि गंगे के प्रबंधक(वित्तीय) रोज़ी अग्रवाल , पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, आईआईटी रुड़की से प्रोफेसर ए एस मौर्या आईआईटी कानपुर से प्रोफेसर राजीव सिन्हा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रोफेसर वेंकटेश दत्त व आदि प्रोफेसर सम्मलित हुए।

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