बिना प्रतिस्थानी के शिक्षकों की कार्यमुक्ति पर पंचायत प्रतिनिधि भड़के

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सीईओ कार्यालय पर उठाए सवाल
-शिक्षा मंत्री माफी मांगते हुए त्याग पत्र दे
-मुनस्यारी तथा धारचूला में शिक्षा का बुरा हाल

पिथौरागढ।
विकासखंड मुनस्यारी व धारचूला से बिना प्रतिस्थानी के शिक्षकों को कार्यमुक्त किए जाने पर सीमांत के पंचायत प्रतिनिधि भड़क गए है। पंचायत प्रतिनिधियों ने मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिलाधिकारी तथा निदेशक माध्यमिक शिक्षा के आदेशों का भी अनुपालन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि सीमा क्षेत्र से शिक्षकों को कार्यमुक्त करने के लिए विभाग ज्यादा उतावला दिख रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जो शिक्षा मंत्री सीमांत क्षेत्र में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने में नाकाम रहे है, उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा देकर सीमांत के शिक्षक अभिभावकों एवं विद्यार्थियों से माफी भी मांगनी चाहिए।


सीमांत क्षेत्र में पिछले वर्ष 93 शिक्षकों का स्थानांतरण हुआ था। तब भी मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने जिलाधिकारी के आदेश को दबा दिया गया था।
शिक्षकों के कार्य मुक्त होने के बाद बिना परेशानी के कार्यमुक्त नहीं किए जाने का आदेश खंड शिक्षा अधिकारियों को भेजा गया। इस बात को लेकर मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय की खूब किरकिरी हुई। मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने इस बात का भी सबक नहीं लिया। पिछले वर्ष की तरह इस बार भी शिक्षकों को बिना प्रतिस्थानी के ही कार्य मुक्त कर दिया गया है।
इस बात से नाराज सीमांत के पंचायत प्रतिनिधि मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय के खिलाफ लामबंद होने लगे है।

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इस बार भी क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों ने समय से मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय तथा जिलाधिकारी को इस समस्या से अवगत करा दिया था।
जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया की पत्र का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी रीना जोशी ने मुख्य शिक्षा अधिकारी को तत्काल प्रभाव से कदम उठाने के निर्देश दिए थे।


मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय में चालाकी दिखाते हुए जिलाधिकारी के पत्र को निदेशक माध्यमिक शिक्षा को भेजकर अपना पल्लू झाड़ लिया। उसके बाद फिर जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने जिलाधिकारी को दूसरा पत्र लिखा।इस पत्र के बाद भी मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने खंड शिक्षा अधिकारी मुनस्यारी तथा धारचूला को बिना प्रतिस्थानी के शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं किए जाने का कोई भी आदेश जारी नहीं किया।

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ताज्जुब की बात यह है कि मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने जिलाधिकारी के पत्र का संज्ञान लेते दूसरी बार भी फिर निदेशक माध्यमिक को पत्र लिखकर खानापूर्ति कर दी।


बीते सप्ताह निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी मुनस्यारी भ्रमण पर आई थी तब भी इस मामले को उनके सम्मुख उठाया गया। निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने मुख्य शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार जुकरियाया को स्पष्ट रूप से कहा था कि वह इस मामले में नोट शीट बनाकर जिलाधिकारी के माध्यम से खंड शिक्षा अधिकारियों को एक आदेश करवा लें।
ताकि बिना परेशानी के कोई भी शिक्षक कार्य मुक्त ना हो। मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय सोता रहा और शिक्षकों के स्थानांतरण का फरमान विद्यालय तक पहुंच गया। विद्यालयों ने फटाफट दर्जनों शिक्षकों को बिना प्रतिष्ठान के कार्य मुक्त कर दिया है ।

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जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने बताया कि बीते वर्ष जिन 93 शिक्षकों का स्थानांतरण हुआ था उनके सापेक्ष मात्र 37 नये अध्यापक सीमा क्षेत्र में स्थित विकासखंड मुनस्यारी तथा धारचूला में पहुंचे है। उन्होंने कहा कि इस बार हुए बंपर स्थानतरण के बाद सीमांत विद्यालयों में शिक्षकों की कमी का आंकड़ा आसमान छूने लगा है ।


उन्होंने कहा कि मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय जानबूझकर आदेश को बनाने में देरी करता है ताकि शिक्षक कार्य मुक्त हो जाएं। इस सांठगांठ की भी जांच की मांग उठाई है।


उन्होंने कहा कि इस प्रदेश के शिक्षा मंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि वह सीमा क्षेत्र में शिक्षकों के रिक्त पदों पर तैनाती करने में विफल रहे है। उन्होंने यह भी कहा कि सीमा के पंचायत प्रतिनिध मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय के खिलाफ आंदोलन करेंगे।

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