फसल बर्बाद करने पर जंगली सुअर और नील गाय को मारने की मिली अनुमति

हल्द्वानी। उत्तराखंड में जंगली सुअर और नीलगाय (वनरोज) के फसलों को नुकसान पहुंचाने की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। काश्तकारों की मांग पर शासन ने विभिन्न शर्तों के साथ जंगली सुअर व नीलगाय को मारने (आखेट) की अनुमति दे दी है। पर्वतीय इलाकों में बंदर और जंगली सुअरों ने खेती को काफी नुकसान पहुंचाया है। जबकि मैदानी इलाकों में नीलगाय, जंगली सुअर और बंदर तीनों फसलों को चौपट कर रहे हैं। लगातार हो रहे नुकसान की वजह से कई लोगों ने खेती करना ही छोड़ दिया है।
पहाड़ों से पलायन का भी ये एक बड़ा कारण माना जाता है। परेशान ग्रामीणों की ओर से लगातार उठाई जा रही मांग के बाद अब सरकार ने जंगली सुअर व नीलगाय को मारने की अनुमति दे दी है। इन्हें तभी मारा जा सकता है जब ये खेतों में नुकसान कर रहे हों। शासन ने इन्हें मारने के लिए कई शर्तें भी लगाई है ताकि वन्यजीव अधिनियमों का उल्लंघन नहीं हो। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड (सीडब्लूएलडब्लू) रंजन मिश्रा ने वन्य अधिनियमों के तहत मामले में सात अगस्त को आदेश जारी कर दिए हैं।
वन दरोगा (फॉरेस्टर) भी दे सकेंगे अनुमति जिन काश्तकारों के खेतों में सुअर और नीलगाय फसलों को बर्बाद कर रहे हैं वह ग्राम प्रधान के माध्यम से वन अधिकारियों ने अनुमति लेंगे। प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ), सहायक वन संरक्षक (एसडीओ), वन क्षेत्राधिकारी (रेंजर), उप वन क्षेत्राधिकारी (डिप्टी रेंजर) और वन दरोगा (फॉरेस्टर) से लिखित आदेश लेने होंगे। यह आदेश एक माह तक मान्य रहेगा और उसके बाद स्वत: ही समाप्त हो जाएगा।
घायल वन्यजीव का जंगल में नहीं करेंगे पीछा नीलगाय व जंगली सुअर को तभी मारा जा सकेगा जब वह निजी भूमि में खेती को नुकसान पहुंचा रहे होंगे। लाइसेंसी बंदूक या राइफल से ही इन्हें मारा जा सकेगा साथ ही घायल होने पर अगर वन्यजीव जंगल में भागता है तो जंगल में जाकर उसे मारने की अनुमति नहीं होगी। बंदरों के बधियाकरण से नहीं हो रही समस्या हल सरकार ने बंदरों के आतंक से छुटकारा दिलाने के लिए उनके बधियाकरण का कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत कुमाऊं में ही करीब 22 हजार से ज्यादा बंदरों का अब तक बधियाकरण किया जा चुका है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बधियाकरण से उनकी संख्या में कमी आएगी और धीरे-धीरे लोगों को इनके आतंक से छुटकारा मिलेगा। काश्तकारों का कहना है कि बंदरों का आतंक बदस्तूर जारी है।
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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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