वनाग्नि रोकने एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर सेमिनार आयोजित-

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अल्मोड़ा 24 अप्रैल । सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के वानिकी एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा फॉरेस्ट फायर एंड वाइल्ड कंफलिक्ट इन कुमाऊँ हिमालया विषय पर एक दिवसीय सेमिनार के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी, बीज वक्ता रूप में अल्मोड़ा के डीएफओ ई महातिम यादव, अधिष्ठाता प्रशासन प्रो प्रवीण बिष्ट, संकायाध्यक्ष, विज्ञान प्रो जया उप्रेती, सेमिनार के संयोजक प्रो अनिल कुमार यादव, अधिष्ठाता शैक्षिक प्रो शेखर चंद्र जोशी, डॉ मनमोहन कनवाल आदि ने उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रो अनिल कुमार यादव ने सेमिनार के संबंध में विस्तार से रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने वानिकी एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग, ग्रीन ऑडिट एवं हरेला पीठ आदि के संबंध में र्प्रकाश डाला एवं अतिथियों का स्वागत किया। कुलपति प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि वन विभाग के ऊर्जावान डीएफओ ई महातिम यादव एवं प्रो अनिल यादव के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में वन विभाग, अल्मोड़ा और सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के वानिकी एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा पर्यावरण के संरक्षण, जल संवर्धन, अकादेमिक आदान-प्रदान, शोध, हरेला पीठ का संचालन आदि को लेकर विविध कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें वनों को आग से दूर रखना होगा। हमें ग्रीन थॉट ग्रीन लाइफ और वनाग्नि अब नही ंके विचारों को आगे बढ़ाते हुए काम करना होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में स्थापित हरेला पीठ द्वारा भविष्य में पर्यावरण संरक्षण एवं संस्कृति संरक्षण के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रकृति और मानवीय संबंधों पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति के साथ मन से जुड़ाव रखना होगा। हमें समस्याओं के समाधान पक्ष पर विचार करना होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा इन सभी संदर्भों पर प्रमुखता से कार्य किया जा रहा है। डीएफओ ई महातिम यादव ने कैंन कटिंग ट्री, कंट्रीब्यूट टू क्लाइमेट चंेज विषय पर अपना व्याख्यान दिया और कहा कि विश्ववि़द्यालय एवं वन विभाग के सहयोग से शोध और अध्ययन को बढ़ावा मिलेगा। हम दोनों संस्थानों ने मिलकर एमओयू किया है। उन्होंने कहा कि आज वन आधारित शोध को बढ़ावा देना होगा। विश्वविद्यालय के सहयोग से हम वन डिविजन को और अधिक बेहतर बना सकते हैं।

उन्होंने अपने व्याख्यान में चिपको आंदोलन, कुमाऊँ के वनों का इतिहास, पादप समुदाय के विकास, चीड़ के जंगल आदि पर केंद्रित बात रखी। भविष्य में इनके सहयोग से हम वृहद कार्यक्रमों के संचालन के लिए तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति के प्रयासों को सराहते हुए उनका सहयोग मांगा। बीपी जोशी ने वन विभाग, वनाग्नि, मानव एवं जंगली जानवरों के संघर्ष आदि पर केंद्रित व्याख्यान दिया। इस अवसर पर स्याहीदेवी विकास मंच के आधार स्तंभ गजेंद्र पाठक, फॉरेस्ट गार्ड बलवंत, फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर गंगाशरन ने अपने विचार प्रस्तुत किए। सेमिनार में ग्रीन ऑडिट/इवायरोनमेंटल ऑडिट रिपोर्ट-2021-22 का विमोचन किया गया और विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में अधिष्ठाता शैक्षिक प्रो शेखर चंर्द्र जोशी ने आभार जताया। इस अवसर पर विभाग के डॉ मनमोहन कनवाल ने सहयोग दिया एवं कार्यक्रम का संचालन सौरभ नेगी ने किया। सेमिनार में डॉ उमंग, डॉ धनी आर्या, डॉ संदीप कुमार, डॉ विभाष मिश्रा, डॉ मंजूलता उपाध्याय, डॉ मनीष त्रिपाठी, डॉ अरविंद पांडे सहित विभाग के विद्यार्थी, शिक्षक एवं शोधार्थी मौजूद रहे।

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