पढ़े जागेश्वर धाम की महिमा…सवा कुंतल गाय के घी से बनी गुफा में एक माह तक ध्यानमग्न रहेंगे भगवान भोले नाथ, जागेश्वर धाम में पूर्ण विधि विधान से घी से बनी पावन गुफा में बिराजमान हुए जागनाथ
गणेश पाण्डेय/पुजारी हेमंत भट्ट जागेश्वर धाम
मकर संक्रांति पर सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसी को मकर संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाता है।
मकर संक्रांति पर्व इस वर्ष 15 जनवरी 2023 को मनाया गया। 72 वर्षो बाद यह योग बना है, इस वर्ष 14 जनवरी को सूर्यदेव रात्रि 8:45 पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे जो कि सूर्यास्त से तीन घटी से अधिक अर्थात एक घंटा बारह: मिनट से अधिक होने से मकर संक्रांति पर्व अगले दिन 15 जनवरी मनाने का निर्णय दिया गया है। जिसका उल्लेख मुहूर्त चिंतामणि के संक्रांति प्रकरण के सातवें श्लोक में भी किया गया है।
पुण्य काल का समय 15 जनवरी प्रातः 7:18 पर प्रारंभ हुआ। संपूर्ण वर्ष में सूर्य देव छः माह दक्षिण एवं छः माह उत्तर में भ्रमण करते हैं जब सूर्य देव कर्क राशि से धनु राशि तक की राशियों में भ्रमण करते हैं उसे दक्षिणायन एवं मकर राशि में गोचर के साथ ही सूर्य देव का गमन उत्तर दिशा की ओर होने से उत्तरायण प्रारम्भ हो जाता है जिसका समय मकर राशि से मिथुन राशि में गोचर(भ्रमण) तक रहता है।
भारतवर्ष में वर्ष भर में कई त्योहार मनाए जाते हैं उसमें से विशेष पर्व होता है मकर संक्राति भारतवर्ष के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नाम एवं अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाने वाला पर्व है। जैसे तमिलनाडु में पोंगल, उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी, गुजरात में उत्तरायण, पश्चिम बंगाल में गंगासागर मेला के नाम से व उत्तराखंड में मकर संक्रांति पर्व को (घुघुतिया) और उत्तरैणी के नाम से भी जाना जाता है।
धार्मिक मान्यतानुसार मकर संक्रांति (पवित्र माघ मास के प्रारंभ) से भगवान भोलेनाथ ने एक माह गुफा मे बंद होकर कठोर तप किया था। इसी परम्परा को बढाते हुए ज्योतिर्लिंग जागेश्वर धाम मे मंदिर पुरोहित 125 किलो गाय के घी से गुफा तैयार कर ज्योतिर्लिंग जागेश्वर महादेव एक माह तप के लिए ध्यानमग्न हो गये है। एक माह बाद उस चमत्कारिक घी को प्रसाद के रूप मे भक्तो को वितरित किया जाता है, इस घी रुपी प्रसाद से कई असाध्य रोगो से मुक्ति मिलती है, इस प्रक्रिया को जागेश्वर धाम के मुख्य पुरोहित पंडित हेमन्त भट्ट ‘कैलाश’, पुजारी प्रतिनिधि पंडित नवीन भट्ट, पंडित लक्ष्मी दत्त भट्ट, पंडित शुभम भट्ट, पंडित कैलाश भट्ट, पंडित आचार्य गिरीश भट्ट, आचार्य निर्मल भट्ट, पंडित केवलानंद भट्ट, पंडित भगवान भट्ट, पंडित हिमाशु भट्ट, पंडित तारा दत्त भट्ट, पंडित हरीश भट्ट आदि पुरोहितो ने मंत्र उच्चारण से संपन्न किया। पूजन प्रधान पुरोहित पंडित हेमन्त भट्ट के द्वारा की गई। मकर संक्राति को सूर्य देव स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं। क्योंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है । धार्मिक मान्यतानुसार उत्तरायणी पर्व मनाने का विषेश कारण यह माना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति पर स्नान, दान का विशेष महत्व होता है मकर संक्रांति पर खिचड़ी,तिल, गुड़, तेल, घी, उड़द, वस्त्र, दक्षिणा आदि का दान करना अति शुभ फल कारक होता है। मकर संक्राति को जागेश्वर धाम के ब्रह्मकुंड घाट में सुबह 5 बजे से भीड़ लगी रही .घाट में सैकडो लोगों ने यज्ञोपवीत संस्कार किये।
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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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