बिना लोकायुक्त की नियुक्ति व बिना कार्य किए सरकार ने एक संस्था को आवंटित कर दिए 29 करोड़ 73 लाख रुपये, हाईकोर्ट ने संस्था के खाते से पैसे निकालने की लगाई रोक

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नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट में मंगलवार को गौलापार निवासी रवि शंकर जोशी की लोकायुक्त की नियुक्ति की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर गंभीर रुख अपनाते हुए आठ सप्ताह के भीतर लोकायुक्त की नियुक्ति कर अनुपालन आख्या पेश करने के निर्देश दिए हैं।

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की निष्क्रियता को केंद्रीय अधिनियम, लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 63 का उल्लंघन माना है। न्यायालय ने राज्य सरकार के दाखिल शपथ पत्र में उल्लिखित तथ्यों का संज्ञान लेते हुए हैरानी जताई कि बिना लोकायुक्त की नियुक्ति के व बिना कोई कार्य करे इस संस्था को 36 करोड़ 95 लाख रुपए आवंटित राशि में से 29 करोड़ 73 रुपए खर्च भी कर दिए गए हैं। इसके अलावा संस्था में 24 कार्मिकों को भी नियुक्त किया गया है।

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हाईकोर्ट ने आदेशित किया कि जब तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक इस संस्था के कोष में से कोई पैसा भी खर्च नहीं किया जाएगा। साथ ही राज्य सरकार को तीन सप्ताह में एक शपथ पत्र के माध्यम से उपरोक्त 24 कार्मिकों का विवरण देने के साथ उनसे लिए जाने वाले कार्यों का ब्योरा देने को कहा है। सुनवाई अगली तिथि 10 अगस्त निर्धारित की गई है।

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