कूपी गांव में पिजरें में फंसा हिंसक बाघ-

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शिवेंद्र गोस्वामी

  • वन विभाग के कर्मचारियों ने ली राहत की सांस
    अल्मोड़ा 11 मार्च : कार्बेट टाइगर रिवर्ज व कालागढ़ रेंज की सीमा पर बसे कूंपी गांव में दहशत का पर्याय बना बाघ पिंजरे में कैद हो ही गया। ड्रोन कैमरे से इसका खुलासा होने पर डीएफओ की अगुआई में एसओजी व रेस्क्यू दल ने पिंजरे को ढक दिया। ताकि गुस्से में हिंसक बाघ खुद को ही चोट न पहुंचा दे। महिला को शिकार बनाने के बाद उसने अचानक पैंतरा बदल लिया था। बगैर दहाड़े खामोशी से इलाके में डेरा जमा लिए जाने से वन विभाग की चुनौतियां भी बढ़ गई थीं। दिनरात कांबिंग के बीच डीएफओ महातिम सिंह यादव खुद भी पिछले तीन दिनों से इलाके में ही कैंप किए रहे। इधर कैद किए गए बाघ को कड़ी सुरक्षा में नैनीताल जू ले जाया जा रहा है। चिकित्सीय परीक्षण भी वहीं किया जाएगा।
    बीते एक मार्च को सल्ट ब्लाक स्थित कूंपी गांव निवासी 59 वर्षीय गुड्डी देवी पर हमला बोल बाघ ने मार डाला था।
  • घटना तब हुई, जब गुड्डीदेवी घर से आधा किमी दूर साल के जंगल से सटे खेतों में मवेशियों के लिए घास काट रही थी। हिंसक वन्यजीव करीब 200 मीटर दूर तक उसे घसीट ले गया। घंटों बाद शाम को उसका क्षतविक्षत शव बरामद हुआ था। 10 दिन तक छकाता रहा बाघ दो मार्च को पिंजरा लगाने के बाद वन्यजीव प्रतिपालक से अनुमति मिलने पर आठ मार्च को मुरादाबाद से शिकारी राजीव सोलोमन पहुंचे।
  • इधर डीएफओ के निर्देशन में 10 दिन तक विभागीय एसओजी व रेस्क्यू टीम और शिकारी दिनरात कांबिंग में जुटे रहे। शिकार के लालच में फंसा
    महिला को शिकार बनाने वाले हिंसक बाघ ने नजदीकी झडग़ांव में भी डेरा जमा लिया था। बीती नौ मार्च को वहां भी एक मवेशी को मार गिराया था। रेस्क्यू दल ने उसके पिंजरे में शिकार फंसाया था और बीती मध्यरात्रि बाघ लालच में उसमें फंस गया।
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