वाद्य यंत्रों का गुर सीखने के बाद कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का किया प्रदर्शन

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मुनस्यारी।
निदेशालय संस्कृति उत्तराखंड द्वारा आयोजित तीस दिवसीय प्रशिक्षण में गायन, नृत्य एवं वाद्य यंत्रों का गुर सीखने के बाद कलाकारों ने आज अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। शौका जनजाति के लुप्त हो रहे गीत, संगीत का पर थिरक कर वाह वाही बटोरी।
उत्तराखंड सरकार के संस्कृति निदेशालय उत्तराखंड द्वारा आयोजित तीस दिवसीय प्रशिक्षण में क्षेत्र के 57 युवक एवं युवतियों को शौका जनजाति पर आधारित गायन, नृत्य एवं वाद्य यंत्रों का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षक हेमा भट्ट तथा बबलू भट्ट,गौरव कुमार गगन द्वारा संगीत की हर विधा सिखाईं गई।


प्रशिक्षण में सीखी गई बारिकियों से लवरेज प्रशिक्षणार्थियों ने आज ग्राम पंचायत जैती के रामलीला स्टेज़ में मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की झड़ी लगा दी।

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क्षेत्र के दिवंगत लोक गायक गोविन्द सिंह पंचपाल की धर्मपत्नी श्रीमती मोहनी देवी पंचपाल तथा दिवंगत लोक गायिका श्रीमती रीमा देवी के पति जवाहर राम ने दीप प्रज्वलित कर सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ किया।
जोहार के स्वर के लेखक डां एस. एस. पांगती के साथ ही क्षेत्र के दर्जनों लोक गायकों तथा रचनाकारों के नाम इस कार्यक्रम को समर्पित किया गया।
प्रशिक्षण से नयी विधाओं को सीखें कलाकारों ने लुप्त हो रहे गीतों को स्वर दिया।


पिता तथा बेटी के बीच संदेश वाहक की भूमिका निभाते कव्वा पर आधारित गायन किया। ” देली है कावा क्ये की बांस छै, फिर बास कावा, कांव- कांव,
पराणी मेरी झूरी रै जांछ, क्यै की बास छै,कांव -कांव।
इसी तरह इस क्षेत्र की विशिष्टता पर बने गीत
रंगीलो मुलूक मेरो,हिमांल फूल कस्तूरी, फूल कंवाल,
नीमैल फूल,ज्यूनाली रात,ठंडो पानी छ,ठंडो बयाल।
नारी शिक्षा पर लिखें गये गीत को भी संगीत दिया गया।
लगै दियरे देश बन्धु, कन्या को पाठशाला,
बन्द कोठी नि धरनु खोली दियो ताला।
विधवा विवाह पर लिखित गीत को कुछ इस तरह पेश किया गया।
फूटी गयो भाग जै को, कटी गयो गला,
विधवा चेली को बौज्यू मरण छ भलो।
सहित दर्जनों प्रस्तुतियों ने पुरातन काल के लोक संगीत की यादें ताजा कर दी।

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लोक कलाकार लक्ष्मण सिंह पांगती लछ बू के संचालन में हुई सांस्कृतिक संध्या में दिवंगत लोक कलाकार के परिजन श्रीमती मोहनी देवी पंचपाल तथा जवाहर राम के साथ ही प्रशिक्षक हेमा भट्ट, बबलू भट्ट तथा गौरव कुमार गगन को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने कहा कि क्षेत्र में संस्कृति निदेशालय उत्तराखंड द्वारा इस तरह के प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए लगातार प्रयास किया जाएगा। विलुप्त हो रहे गीत,संगीत एवं नृत्य को पुर्नजीवित किया जाएगा।

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इस अवसर पर जैती की ग्राम प्रधान पुष्पा रावत, खसियाबाड़ा के ग्राम प्रधान संजय सिंह धामी, हरकोट के पूर्व प्रधान खुशाल सिंह जैष्ठा, पूर्व कनिष्ठ प्रमुख हीरा रावत, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य नेहा पांगती सहित दर्जनों गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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