सात दिवसीय रचना महोत्सव का समापन

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शिवेंद्र गोस्वामी

अल्मोड़ा। मोहन उप्रेती लोक संस्कृति कला एवं विज्ञान शोध समिति के तत्वावधान मे सात दिवसीय रचना दिवस महोत्सव का आयोजन संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा मे किया गया। रचना दिवस पर नृत्य सम्राट उदय शंकर, ध्रुपदाचार्य चंद्रशेखर पंत, संगीताचार्य पंडित ध्रुव तारा जोशी , लोकगायक नाट्यसंगीतकार मोहन उप्रेती व राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर जी की स्मृति मे कई कार्यक्रम आयोजित किये गए।
रचना दिवस के पहले चरण मे कुमाउनी लोक हस्त शिल्प ऐपण कार्यशाला का आयोजन किया गया। चार दिवसीय ऐपण की वरिष्ठ कलाकारा मीरा जोशी के द्वारा ऐपण का प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम के दूसरे चरण मे ऐपण प्रदर्शनी का आयोजन किया गया ऐपण कलाकार
हेमन्त जोशी के निर्देशन मे लगी प्रदर्शनी मे २५ कलाकारों के ऐपण को प्रदर्शित किया गया जिसमे पचास वर्ष से अधिक आयु के कलाकारों और युवा कलाकारों की पेंटिंग प्रदर्शित की गई। प्रदर्शनी मे कलाकारों द्वारा बनी आसन चौकी , सूर्य दर्शन चौकी, हवन चौकी, वर चौकी, आचार्य चौकी, स्नान चौकी, धूलिअर्घ चौकी, ज्युति पट्ट साह और ब्राह्मण शैली, ज्युति पट्ट विवाह साह शैली, दुर्गा थापा, गंगा दशहरा द्वार पट्ट, नाग पंचमी का पट्टा, हिमांचल, माइ विजन सहित ऐपण मे कई प्रयोगात्मक कृतियो को प्रदर्शित किया गया ।
हेमन्त कुमार जोशी ने कहा कि इस कला को जीवंतता महिलाओ ने दी हैं उनके योगदान को नजरअंदाज नही किया जा सकता उन्होंने कहा की मधुबनी की तर्ज पर ऐपण को भी रोजगार का साधन बनाया जा सकता है।

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कार्यक्रम के तीसरे चरण मे हिंदी कवि सम्मेलन राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर की स्मृति में आयोजित किया गया। कवि सम्मेलन में त्रिभुवन गिरी, नीरज पंत, प्रो माया गोला, डॉ दीपा गुप्ता, चंद्रा उप्रेती , विनिता जोशी नीलम नेगी, मीनू जोशी ,नीरज पांगती , उदय किरोला गाज़ियाबाद से सृजन से पत्रिका की सम्पादिका व अपने आलेखों व कविताओ के माध्यम से उत्तराखण्ड के मुद्दों को राष्ट्रीय फलक पर ले जाने वाली प्रतिष्ठित लेखिका मीना पांडे व हल्द्वानी के कवि सम्मेलन के मंचों की चर्चित कवियत्री किरन पंत वर्तिका ने काव्य पाठ किया ।


रचना दिवस का चौथा चरण लोक संस्कृति के नाम रहा । लोक गायक मोहन उप्रेती की स्मृति मे आयोजित कार्यक्रम मे देशभर के कई कलाकारों को सम्मानित किया गया। इस वर्ष के सम्मान समारोह में “समिति सम्मान” शास्त्रीय संगीत के वरिष्ठ गुरू पंडित हरीश चन्द्र पंत, कुमाउनी और हिन्दी में साहित्य सृजन करने वाले रचनाकार त्रिभुवन गिरी महाराज को और वरिष्ठ रंगकर्मी दीप पाण्डेय को समिति सम्मान से सम्मानित किया गया इस वर्ष का “युवा प्रतिभा सम्मान” से लोक गायिका आशा नेगी , भरतनाट्यम की नृत्यांगना डा• खिलेश्लरी पटेल , चित्रकार कुसुम पाण्डेय , कथक नृत्यांगना रूचि बलूनी व तबला वादक सप्तक शर्मा को प्रदान किया गया। आशा नेगी को इससे पूर्व भारत सरकार के बिस्मिल्ला खाँ अवार्ड प्राप्त हो चुका है वहीं कुसुम पाण्डेय इससे पूर्व केन्द्रीय ललित कला अकादेमी द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। इस वर्ष का “कला साधक सम्मान” प्रसिद्ध लोक गायिका लता पाण्डेय, पखावज वादक मनोज सोलंकी , वरिष्ठ कलाकार धीरेन्द्र पाण्डेय , शास्त्रीय गायक पंकज आर्या , मोहन सिंह रीठागढी के पुत्र गिरीश रिठागढी को प्रदान किया गया, वहीं “कला संरक्षण सम्मान” दिल्ली से पधारे खीम सिंह रावत ‘उत्तरैणी वाले’ को प्रवासियों में कुमाउ की लोक संस्कृति के के प्रचार-प्रसार में योगदान के लिए प्रदान किया गया। बाल कलाकार बांसुरी वादक प्रखर जोशी को “बाल प्रतिभा सम्मान” से सम्मानित किया गया। कल्याण मनकोटी को युवाओं के शैक्षणिक व रचनात्मक विकास में किए गए योगदान के लिए “युवा चेतना सम्मान” प्रदान किया गया। बाल कलाकार प्रखर जोशी ने सुन्दर बासुरी वादन किया। प्रखर जोशी भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के छात्रवृत्ति धारक हैं। पुणे महाराष्ट्र से आए युवा पखावज वादक मनोज सोलंकी ने पखावज पर कई बंदिशें प्रस्तुत की।

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छत्तीसगढ मूल की भरतनाट्यम की कलाकार डा• खिलेश्वरी पटेल असिस्टेंट प्रोफेसर बनारस विश्वविद्यालय ने सुन्दर नृत्य प्रस्तुति से सभी के मन मोह लिया। पिथौरागढ के बाल कलाकार अभिषेक जोशी ने एकल तबला वादन की प्रस्तुति दी।हर्षित कुमार के सितार वादन से हुई तबले पर संगत अमन महाजन ने की। संस्था के द्वारा हर्षित को पिछले वर्ष बाल प्रतिभा सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। दूसरी प्रस्तुति अजराड़ा घराने के सप्तक शर्मा ने दी इनके साथ हारमोनियम पर संगत राजा बलूनी ने की। जयपुर घराने की कत्थक नृत्यांगना रूचि बलूनी कथक नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति शास्त्रीय गायक पंकज आर्या ने दी । तानपुरे पर पवन जोशी हारमोनियम पर प्रांजल आर्या व तबले पर अमन महाजन ने संगत की। सात दिवसीय कार्यकर्म का कुशल संचालन मीना पांडे व किरन पंत के द्वारा किया गया।

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