विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर के दर्जनों गांव सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य से वंचित-

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70 सालो में नही जुड़ पाए उक्त गांवों के लोग मुख्य धारा से-

पीएमवीसीएम को भेजा पत्र-

हरगोविंद रावल
विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर के दर्जनों गांव आजादी के 70 वर्ष गुजर जाने के बाद भी नहीं जुड़ पाए मुख्यधारा से जिसके लिए ग्रामीण कई बार आंदोलित तक रहे लेकिन सरकारों ने झूठे आश्वासन देकर आज तक उक्त गांवों के लोगों को आदम युग में जीने को मजबूर किया है। विगत दिनों जाजर गांव के समाजसेवी राकेश सिंह देउपा ने प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी को सड़क,स्वास्थ्य,शिक्षा से वंचित गांवों में सड़क,अस्पताल व इंटर कालेज खोलने के लिए पत्र भेजा। बताते चले की सेला गांव के स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय चंचल सिंह रावल एवं सिमायल गांव के स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय दीवान सिंह दसौनी ने देश की आजादी के लिए जीवन पर्यन्त संघर्ष किया।70 सालो के बाद उनके गांव तक सड़क मार्ग से नही जुड़ पाए जो की महान स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान हैं। इधर 2016 में क्षेत्रीय संघर्ष समिति चामाचौड़ ने पिथौरागढ़ में 16 दिन का आंदोलन किया तो वही 2018 में बेरीनाग में 156 दिन तक सड़क के लिए क्रमिक अनशन किया था लेकिन सबका साथ,सबका विकास नारा देने वाली भाजपा की सरकार ने उक्त दर्जनों गांवों के लोगों को झूठे आश्वासन के सिवा कुछ नही दिया। 70 वर्षों से पाताल भुवनेश्वर के जाजर,लोहरगांव, खतड़वा,गनोरा,सेला, गुठालगांव,सेरा, भटईजर,सिमायल,दालूपा, नैनीशीतला,मोना, मकारगांव, छडोली व पनौली गांव इस आधुनिक युग में भी विकास की मुख्य धारा सड़क से नही जुड़ पाए। तो वहीं सड़क न होने के कारण उक्त सभी गांवों से सैंकड़ों परिवार पलायन कर चुके हैं।

जाजर गांव में विरान पड़ा खंडहर घर
जाजर गांव

एक तरफ जाजर गांव पलायन रोकने की बात करती हैं तो वहीं दूसरी तरफ डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद उक्त गांवों के ग्रामीण विकास को तरस रहे हैं। इधर जाजर गांव के समाजसेवक राकेश सिंह देउपा कहते हैं कि उन्होंने उक्त सभी गांवों में सड़क,स्वास्थ्य व शिक्षा के लिए देश के प्रधानमंत्री,उत्तराखंड के सी एम व जिलाधिकारी को पत्राचार किया हैं। अब देखना यह होगा कि आखिर उक्त सभी गांव सड़क मार्ग से कब तक जुड़ पाते हैं यह आने वाला समय ही बताएगा।

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