पूर्व समाज कल्याण मंत्री राम प्रसाद टम्टा का उपचार के दौरान निधन-

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बागेश्वर। पूर्व समाज कल्याण मंत्री रामप्रसाद टम्टा का उपचार के दौरान निधन हो गया व पिछले कुछ दिनों से अश्वस्थ चल रहे टम्टा का हल्द्वानी में उपचार चल रहा था। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। टम्टा के निधन पर उनके चाहने वालों में शोक की लहर है। नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री राम प्रसाद टम्टा का निधन हो गया है। वह 75 वर्ष के थे। लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बागेश्वर से इलाज के लिए उन्हें डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय लाया गया। जहां उन्होंने आज अंतिम सांस ली।


उनके निधन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास, विधायक कपकोट सुरेश गड़िया, जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देवी समेत कई लोगों ने शोक जताया है।
गांधी टोपी पहने और कंधे पर झोला पूर्व मंत्री राम प्रसाद टम्टा की पहचान थी। वह सरल और मृदभाषी थे। वह उत्तराखंड की पहली निर्वाचित सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। उनके निधन की सूचना पर समूचे जिले में शोक की लहर दौड़ गई है।

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मूल रूप से चौगांवछीना खर्कटम्टा निवासी राम प्रसाद टम्टा की 6 मई की रात को तबीयत ज्यादा खराब हो गई। स्वजन पहले उन्हें बागेश्वर के जिला अस्पताल ले गए। वहां पर ईसीजी भी कराया था, लेकिन रेफर कर दिया गया। वहां से स्वजन उन्हें डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय ले आए। इमरजेंसी में उपचार के बाद प्राचार्य प्रो. अरुण जोशी ने उन्हें देखा।


उन्हें हार्ट अटैक पड़ा था और किडनी भी फेल हो चुकी थी। इसके बाद निजी अस्पताल रेफर किया गया था। वहां पहुंचने तक उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके परिवार में चंद्रकांत के अलावा छोटा बेटा अभिलेख, पत्नी मुन्नी देवी व तीन बेटियों समेत भरा-पूरा परिवार है। उनके निधन से शोक की लहर दौड़ गई। उनके बेटे ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार आठ मई को गांव में ही होगा।

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महज 12 रुपये के खर्च कर लड़ा था प्रधान का चुनाव-


बागेश्वर दुनिया को अलविदा कह चुके स्व. राम प्रसाद टम्टा सरल व मृदुल स्वभाव के मूर्ति थे। सदैव यही उनकी पहचान रही। सिर पर गांधी टोपी और कांधे में एक झोला भी उनकी पहचान के साथ बेहद सादगी को दर्शाता था। स्व. टम्टा उत्तराखंड की पहली निर्वाचित सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे।


पूर्व समाज कल्याण मंत्री स्व. राम प्रसाद टम्टा का लंबा राजनैतिक सफर रहा है। वह सन् 1968 में यूथ कांग्रेस से जुड़े। वर्ष 1971 में 18 साल की उम्र में ही राजनैतिक व सामाजिक संगठनों से जुड़ गए। इसी उम्र में महज 12 रुपये खर्च कर ग्राम प्रधान पद का चुनाव लड़ा था। चुनाव जीतने के बाद उनके समर्थकों ने गुड़ की भेली बांट कर खुशी मनाई थी। इसके बाद वह उत्तर प्रदेश की विधानसभा में बागेश्वर से सन् 1993 में पहली बार विधायक बने। राज्य गठन के बाद 2002 में इसी सीट से दोबारा विधायक बने और राज्य की पहली निर्वाचित सरकार में वह समाज कल्याण मंत्री बने। पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के साथ सन् 2007 तक मंत्री रहे।

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स्व. टम्टा ने वर्ष 2007 से 2012 तक कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और हार गए, लेकिन वर्ष 2017 में उनका टिकट कटा। इसके बाद वह भाजपा शामिल हो गए। वह 49 साल कांग्रेस में रहे। समाजसेवा की धुन उनमें इस कदर रही कि उन्होंने अपने लिए कुछ नहीं किया। पूर्व मंत्री टम्टा के दो बेटे हैं। उनके बड़े पुत्र चंद्रकांत टम्टा नगर पालिका में जेई हैं, जबकि छोटा बेटा अभिलेख टम्टा तांबे के बर्तनों की दुकान चलाते हैं। उनकी तीन बेटियां हैं। उनकी शादी हो चुकी है।

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