सरकार का बड़ा फैसला : केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को अब कैशलेस इलाज से नहीं किया जा सकेगा इनकार

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नई दिल्ली, 7 अक्टूबर। केंद्र सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य योजना (CGHS) के तहत इलाज कराने वाले करीब 46 लाख कर्मचारियों और पेंशनर्स को बड़ी राहत दी है। सरकार ने CGHS दरों में लगभग एक दशक बाद बड़ा संशोधन करते हुए 13 अक्टूबर से नई दरें लागू करने का फैसला किया है। इससे निजी अस्पतालों द्वारा कैशलेस इलाज से इनकार करने की समस्या खत्म होने की उम्मीद है।

सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए इलाज की दरों में औसतन 25 से 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इसके साथ ही सभी CGHS-पैनल अस्पतालों को नई दरें स्वीकार करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।

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बदलाव की पड़ी जरूरत

पिछले कई वर्षों से CGHS से जुड़े निजी अस्पताल यह कहकर कैशलेस इलाज देने से मना कर रहे थे कि सरकार की तय दरें बेहद कम हैं और 2014 के बाद कोई संशोधन नहीं हुआ है। इस वजह से मरीजों को इलाज का पूरा खर्च पहले खुद वहन करना पड़ता था और बाद में रीइंबर्समेंट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था।

कर्मचारी संगठनों की ओर से लगातार मांग उठाई जा रही थी कि सरकार इलाज की दरों को मौजूदा समय के हिसाब से संशोधित करे।

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दरें कैसे होंगी तय

नई CGHS दरें अब चार प्रमुख मानकों के आधार पर तय की जाएंगी:

  1. अस्पताल का एक्रेडिटेशन: मान्यता प्राप्त अस्पतालों को अधिक दरें दी जाएंगी।
  2. शहर की श्रेणी: A, B और C श्रेणी के शहरों के लिए अलग-अलग दरें होंगी।
  3. अस्पताल का प्रकार: सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों को 15% अधिक दरें मिलेंगी।
  4. वार्ड का प्रकार: जनरल और प्राइवेट वार्ड की दरों में 5% का अंतर रहेगा।

अस्पतालों के लिए सख्त निर्देश

स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि जो अस्पताल 13 अक्टूबर तक नई दरों को स्वीकार नहीं करेंगे, उन्हें CGHS पैनल से हटाया जा सकता है। इसके अलावा सभी अस्पतालों को 90 दिनों के भीतर सरकार के साथ नए समझौते पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होगा।

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लाभार्थियों को सीधा लाभ

नई व्यवस्था से CGHS लाभार्थियों को अब इलाज के लिए मोटी रकम अग्रिम में खर्च नहीं करनी पड़ेगी। कैशलेस सुविधा का दायरा बढ़ेगा और रीइंबर्समेंट की जटिल प्रक्रिया से भी राहत मिलेगी।

सरकार का यह कदम CGHS प्रणाली को अधिक प्रभावशाली, भरोसेमंद और लाभार्थी हितैषी बनाने की दिशा में एक अहम सुधार माना जा रहा है।

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