नैनीताल जिपं अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पुनर्मतदान पर हाईकोर्ट में सुनवाई आज

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नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव हेतु पुनर्मतदान किये जाने की मांग को लेकर  दायर याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग से आज 27 अगस्त को आयोग द्वारा बनाई गई निष्पक्ष चुनाव निर्देश पुस्तिका कोर्ट में पेश करने को कहा है। इस मामले की आज 27 अगस्त को सुनवाई होगी।

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश जी नरेन्द्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्यय की खण्डपीठ में हुई। सुनवाई दौरान याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के  वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामथ हाईकोर्ट द्वारा विपुल जैन व एक अन्य  में कहा था कि राज्य चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव कराएगी। अगर इसमें किसी भी प्रत्याशी को आपत्ति होगी तो चुनाव आयोग को शिकायत दर्ज करेगा, चुनाव आयोग ही इस पर निर्णय लेगा। लेकिन नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के चुनाव की मतगणना करने पर जिला अधिकारी ने निर्णय लिया जो कि नियमों के विरुद्ध है।

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इसलिए राज्य चुनाव आयोग के नियमों को तलब किया जाय और आयोग द्वारा निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए जो दिशा निर्देश जारी किए गए थे उनको भी कोर्ट में पेश किया जाय। रात्रि में मतपत्रों की गणना का जो निर्णय जिलाधिकारी/निर्वाचन अधिकारी ने लिया वह अधिकार जिलाधिकारी के पास नहीं था। यह अधिकार राज्य चुनाव आयोग के पास है। याची के अनुसार  जिलाधिकारी ने 14 अगस्त की दिन में कोर्ट में  में पुनर्मतदान करने सम्बन्धी बयान दिया, लेकिन रात में मतपत्रों की गिनती कर दी।  जिस पर कोर्ट ने  चुनाव आयोग के द्वारा जारी दिशा निर्देशों की पुस्तिका को कोर्ट में पेश करने को कहा है। 

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इस मामले की सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट में पेश हुई जिलाधिकारी/निर्वाचन अधिकारी वन्दना ने  बताया कि मतगणना उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1994 के मुताबिक की गई है। इसके अलावा महाधिवक्ता ने कहा कि इस याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट में नहीं हो सकती।

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा याचिका में विवादित बिंदुओं पर निर्णय हेतु चुनाव आयोग को भेजा जाए। जिस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी आरोप लगाए गए हैं, इसलिए इस मामले मामले को हाईकोर्ट में ही सुना जाय।

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मामले के अनुसार जिला पंचायत सदस्य पूनम बिष्ट ने 20 अगस्त को उच्च न्यायालय में पुनर्मतदान की मांग को लेकर याचिका दायर की है, जिसमे एक मतपत्र में ओवरराइटिंग का भी आरोप था। इस मतपत्र के अवलोकन के लिये हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता व सरकार के अधिवक्ताओं का पैनल जिलाधिकारी कार्यालय भेजा था, जिसमें सरकार व चुनाव आयोग की ओर से मतपत्र में छेड़छाड़ से इनकार किया है।

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