बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों से खेल रहा है ये “लीक शब्द”

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दया जोशी
हल्द्वानी। सरकारी नौकरी को लेकर युवाओं से लेकर उनके परिजन भी भविष्य के प्रति सुरक्षित महसूस करते हैं, सरकारी कर्मचारी की अपनी अलग पहचान-शान होती है साथ ही कर्मचारी जुडे परिजन भी प्राउड फील करते हैं इन्हीं उम्मीदों से भरे युवा जी तोड़ मेहनत कर पढ़ाई के कोई भी अवसरों को गवाना नहीं चाहते, जिधर भी भर्तियां निकलती हैं अपने/परिजनों के सपनों को पंख देने दौड पडते हैं उन भर्तियों की ओर जिनको “”लीक”” नामक घुन निगल रहा है तथा बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों से खेल रहा है ये “लीक शब्द”। प्रदेश में आयी भर्ती घोटालों की बाढ़ को लेकर युवाओं में प्रदेश सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। युवाओं के यूके एसएससी व यूकेपीसीएस में हो रहे भ्रष्टाचार का मामला अब राज्यपाल तक पहुंच चुका है।बेरोजगार संगठनों ने प्रदेश सरकार तथा भर्ती आयोगों के खिलाफ लगातार धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग व लोक सेवा आयोग के एक के बाद एक पेपर लीक होते जा रहे हैं और करोंड़ों रु० का भ्रष्टाचार से बेरोजगार त्रस्त हैं। सरकार बस युवाओं को झूठे आश्वासन देने तक सीमित है। सचिवालय भर्ती परीक्षा, फॉरेस्ट गार्ड, सहकारी भर्ती, वीडियो वीपीडियो भर्ती, पटवारी भर्ती सहित तमाम अन्य परीक्षाओं में धांधली की शिकायत दर्ज हुई है। सरकार क्या कर रही है यह सबको पता है।

भर्ती में चल रहे भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हो चुकी हैं कि इसे बेनकाब करना नामुमकिन हो गया है। आयोग में यह खेल उत्तराखण्ड स्थापना के समय से लगातार चलता आ रहा है। मेहनत करने वाले युवाओं के भविष्य के साथ लगातार खिलवाड़ हो रहा है जिससे एक तरफ मेहनतकश युवा ओवर एज हो चुके हैं। वहीं बेरोजगारी का दंश झेल रहे लाखों युवा दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं । 22 वर्षों में उत्तराखंड में सैकड़ों भर्तियां हुई परंतु युवा उत्तराखंड बनने से ही लगातार भर्ती परीक्षाओं पर उंगलियां उठा रहे हैं परन्तु सरकार के कान पर जू तक नहीं रेंग रही। चाहे विधानसभा में बैक डोर भर्ती घोटाला हो या वर्तमान में दरोगा भर्ती घोटालों में लगातार दरोगाओं की बर्खास्तगी में सरकार के पसीने छूट रहे हो। उत्तराखंड में युवाओं का भविष्य पूरी तरह अंधकार में पहुंच गया है। आज उत्तराखंड का गरीब मेहनतकश युवा भर्ती परीक्षाओं के फार्म भरने तथा परीक्षा में बैठने से डर रहा है।

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उत्तराखंड के विभिन्न भर्ती परीक्षाओं हो रहे भ्रष्टाचार ने चयनित अधिकारियों की योग्यता पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। युवाओं का कहना है कि भ्रष्ट अधिकारियों की यदि संपत्ति की जांच की जाए तो भ्रष्टाचार की दलदल में आकंठ डूबे उत्तराखंड की असलियत सबके सामने आ जाएगी। युवाओं ने 20 सालों में सभी भर्ती परीक्षाओं की सीबीआई जांच की मांग उठाई है। उनका कहना है भ्रष्ट अधिकारियों ने उत्तराखंड की योग्यता का बंटाधार कर दिया है और यदि ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं उत्तराखंड का भविष्य पूरी तरह चौपट होगा।

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