मैंसों भाग छिलुक जौ बई रों,ते भागैल मौं लगै दी मेरी-कुमांउनी कवि संमेलन-

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एसआर चंद्रा

भिकियासैंण। अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कालेज भिकियासैंण के मैदान में चंद्रोदय सोसल वेलफेयर फाउंडेशन के तत्वावधान में चल रहे रामगंगा महोत्सव के तीसरे दिन रविवार को आयोजित कुंमाउनी कवि सम्मेलन में कवियों ने कविता पाठ के माध्यम से पहाड़ की पीड़ा व पलायन पर शानदार प्रस्तुति दी।

कवि समेल्लन की शुरूआत मानिला के युवा कवि ईश्वरचंद्र कोहली ने करते हुये पहाड़ में खेती के चौबट होने व पलायन को लेकर प्रस्तुत कविता पाठ में कहा “खेती बजीगे,जामि गयी कना।खाली रही गो पहाड़ा का डाना।

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रामनगर से पहुंचे कवि नवेंदु मठपाल ने वर्तमान राजनीति दशा पर कटाक्ष कर कहा -आड़-आड़ चिचैल है गो,हिकौ-हिकौ कुकैल है गो। इस दौरान प्रसिद्ध कवि हेमंत बिष्ट ने मॉ की पीड़ा को यू बया करते हुये कहा -ममता की देवी म्यर पहाड़ा की ईजा ,भव म्यर प्रदेश में हननल अकेला ,एकै रटन छू म्यर च्यला।
कवि सम्मेलन का संचालन करते हुये नीरज बवाड़ी ने मंहगाई पर तंज कसते हुये कहा कमाई पर पड़ बज्जरा,मंहगाई की हैगी मारा। शिक्षक कृपालसिंह शीला ने खाली होते गॉवों पर चिंता जताते हुये कविता प्रस्तुत कर कहा-किलै छौड़ि जैछा भागी,अपणा पहाड़,म्यर पहाड़ गौं हैगी खाली। सम्मेलन के अंत में अध्यक्षता करते हुये सेवानिवृत्त शिक्षक कुबेर कड़ाकोटी ने अंध विश्वास पर कटाक्ष कर कहा -बटम आलै कौय अबटॉ जैंछै,ज्या रे भागा धत्तेरी की।मैंसों भाग छिलुक जौ बई रों,ते भागैल मौं लगै दी मेरी। कवि सम्मेलन सुनने के लिये भारी संख्या में क्षेत्रीय लोग मौजूद थे।

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