गंदगी से पटा जागेश्वर धाम का श्मशान घाट-शव यात्रियों को उठानी पड़ रही परेशानी-

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ईश्वरी दत्त भट्ट
जागेश्वर धाम क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जागेश्वर धाम में जटागंगा नदी में बैराज बनाए जाने के लिए वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जिलाधिकारी को बैराज निर्माण के लिए आगणन तैयार कर शासन को भेजने के निर्देश दिए थे, जो कि अभी भी अधर में है।


2003 में तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन मंत्री जगमोहन ने स्वयं यहां आकर क्षेत्र के विकास की दीर्घकालिक योजना तैयार करवाई थी। इस योजना में जटागंगा नदी में झील निर्माण, सुविधा युक्त धर्मशाला, पार्किंग, आरतोला में भव्य स्वागत द्वार समेत अन्य जन सुविधाओं की स्थापना करना शामिल था। शासन ने कई बार सर्वे करके आगणन तैयार किए, लेकिन योजना आज तक मूर्त रूप नहीं ले सकी। जागेश्वर धाम के मंदिरों में दर्शन से पहले जटागंगा नदी में स्नान की धार्मिक मान्यता है। बरसात के अलावा अन्य महीनों में इस नदी का जल स्तर काफी घट जाता है। इससे श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतें होती हैं।

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मंदिर से कुछ दूरी पर ही श्मशान घाट है। जहां पर इन दिनों गंदगी का अंबार लगा है। पानी कम होने से शवदाह के बाद बचे कोयले, राख और अधजली लकड़ियों से नदी किनारे गंदगी है। यदि यहां पर बैराज का निर्माण हो गया होता तो जहां पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिलता वहीं शव यात्रियों को भी सुविधा होती और नदी किनारे जमा होने वाली गंदगी से भी निजात मिल सकती थी।

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वर्ष 2015 में तत्कालीन सीएम के हरीश रावत के जागेश्वर पहुंचने पर क्षेत्र के विधायक और विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने उन्हें जटागंगा नदी में मिनी बैराज बनाने का सुझाव दिया था। सीएम ने इस प्रस्ताव पर हामी भरते हुए डीएम सविन बंसल को आगणन तैयार कर शासन को भेजने के निर्देश दिए थे। जागेश्वर धाम के समीप से बहने वाली जटागंगा नदी और तीर्थ स्थान होने के कारण जटा गंगा नदी में स्थानीय और बाहर से लोग शवदाह के लिए पहुंचते हैं। नदी में शवदाह की अधजली लकड़ियां, कपड़े, पॉलीथिन आदि कूड़ा करकट जगह-जगह फैला हुआ है। अब जागेश्वर विधान सभा क्षेत्र से भाजपा विधायक मोहन सिंह मेहरा हैं। अब देखना होगा कि वह इस कार्य में कितना खरा उतरते हैं।

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