घाट,तवाघाट घटियाबगड़ के साथ घटियाबगड़ लिपूलेख तीन प्रमुख सड़कें बंद हैं। मुनस्यारी में गोरी नदी के उफान पर होने से एक हाइड्रा मशीन व 10से अधिक गार्डर बहे हैं।काली नदी खतरे के निशान से उपर

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पिथौरागढ़। भारी बारिश से जिले में लोग बेहाल हैं।घाट,तवाघाट घटियाबगड़ के साथ घटियाबगड़ लिपूलेख तीन प्रमुख सड़कें बंद हैं। मुनस्यारी में गोरी नदी के उफान पर होने से एक हाइड्रा मशीन व 10से अधिक गार्डर  बहे हैं।काली नदी खतरे के निशान से उपर बह रही है, जिससे नदी किनारे की आबादी में दहशत है।काली889,60मीटर पर बह रही है।चेतावनी स्तर889 मीटर है।गोरी का चेतावनी स्तर 606,80मीटर है, गोरी  605.65मीटर पर  बह रही है,रामगंगा व सरयू का जल स्तर भी तेजी से बढ़ा है।लुमती में गोरी नदी में पानी बढ़ जाने से नदी का पानी सड़क तक पहुंच गया है।जिससे कई वाहन फंस गए हैं।

नदी में 200मीटर के लंबे इलाके में पानी रूक गया है,8घरों के आंगन तक पानी पहुंचने से लोग खतरे की आंशका में घर छोड़ जंगलों नकी तरफ गए।अभी भी पानी का आबादी की तरफ बढ़ने का खतरा बना हुआ है।——दारमा में फिलम में भारी बारिश में एक पुल बह गया है, जिससे गांव में भूस्खलन का खतरा भी बढ़ गया है-डीएम आनंद स्वरूप ने काली नदी का जल स्तर बढ़ने के बाद संबंधित अधिकारियों को अलर्ट किया है।कहा है कि किसी भी प्रकार की घटना को रोकने के लिए अधिकारी समन्वय से काम करें।नदी किनारे की आबादी व भवनों को यदि खतरा प्रतीत हो तो तत्काल उन्हें सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया जाए  ।       –——–   जौलजीबी-मुनस्यारी सड़क पर चिमड़ा नाले के मलबे ने गोरी नदी का प्रवाह रोक दिया है। नदी का प्रवाह थमने से यहां 200मीटर से लंबी झील बन गई है, जिससे खतरा बढ़ गया है। झील बनने से आसमानी आफत के बीच नजदीकी गांव मल्ला व तल्ला घुरुड़ी पर खतरा मंडरा गया है। पहले से ही आपदा के जख्म सह रहे तल्ला घुरुड़ी के 8परिवार इस बार भी खतरा भांप घर छोड़कर जंगलों की तरफ सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं। समय रहते नदी का प्रवाह शुरू नहीं हु़आ तो यहां बनी झील बढ़ी त्रासदी की गवाह बन सकती है। जौलजीबी-मुनस्यारी सड़क पर स्थित लुमती के पास चिमड़ा थौड़ नाला गोरी नदी में मिलता है। पिछले आपदाकाल में बारिश के साथ नाले से निकले मलबे ने गोरी नदी का प्रवाह रोक दिया था। लेकिन तब मलबे को पूरा साफ किए बगैर नदी का प्रवाह शुरू कराया गया। फिर से इस बार बारिश के साथ नाले से निकले मलबे ने नदी का प्रवाह रोक दिया है, जिससे यहां मोरी से लुमती तक 200मीटर से अधिक लंबी झील बन गई है।

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