नाबालिग ने खुद रची अपने अपहरण की कहानी -परिजनों ने पुलिस से मांगी माफी

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देहरादून। दो दिन पहले एक नाबालिग बालक के कार सवारों की ओर से अपरहण करने की सूचना पुलिस जांच में झूठी निकली। हॉस्टल नहीं जाने के लिए नाबालिग ने खुद ही अपने अपहरण की झूठी कहानी रच दी। जांच के बाद नाबालिग के परिजनों ने बाजार चौकी में जाकर इस गलती के लिए लिखित रूप में क्षमा याचना की। स्पष्ट किया गया कि उनके पुत्र का कोई अपहरण नहीं हुआ था, बल्कि उसने स्वयं झूठी सूचना दी थी। दरअसल, दो दिन पहले 26 जून को सुरेश सिंह पुत्र किशन सिंह निवासी विकासनगर पुल नंबर एक ने चौकी बाजार में एक प्रार्थना पत्र दिया।


बताया कि उनका 13 वर्षीय पुत्र बिना बताए घर से चला गया है। साथ ही वह अपनी माता का मोबाइल फोन भी अपने साथ ले गया है। कुछ घंटों के बाद परिजनों ने सूचना दी गई कि उनका पुत्र मिल गया है। वह सकुशल घर लौट आया है। नाबालिग ने अपने परिजनों को बताया कि चार अज्ञात व्यक्तियों ने एक काली गाड़ी में उसका अपहरण कर लिया था। वह किसी तरह से उनसे बचकर वापस पहुंचा है। उसने परिजनों को यह भी बताया कि अपहरणकर्ताओं ने उसके बाल काटे और नए कपड़े दिलाए। अपहरण की सूचना पर पुलिस में भी हड़कंप में मच गया।

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कोतवाल विनोद गुसाईं ने बताया कि अपहरण की सूचना के बाद पुलिस अपहरणकर्ताओं की तलाश में जुट गई। सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए तो नाबालिग स्वयं अकेला विभिन्न वाहनों से लिफ्ट लेकर हिमाचल प्रदेश के मेरू वाला क्षेत्र तक जाते हुए देखा गया। जांच के दौरान उसकी माता के मोबाइल फोन में गूगल पे से लेन-देन के माध्यम से वस्त्रों की ऑनलाइन खरीदारी का प्रमाण मिला, जो नालाबिग ने स्वयं किया था। बाल काटने वाले नाई से संपर्क करने पर उसने बताया कि बालक अकेला आया था और उसने स्वयं बाल कटवाए तथा भुगतान गूगल पे से किया।

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कोतवाल ने बताया कि जब नाबालिग से पूछताछ की तो उसने बताया कि उसे अपने स्कूल के हॉस्टल देहरादून जाना था, लेकिन वह नहीं जाना चाहता था। इस कारण वह स्वयं ही पांवटा साहिब होते हुए मेरूवाला चला गया। रास्ता भटक जाने पर उसने मेरूवाला निवासी सुरेंद्र से सहायता ली, जिसने उसे घर पहुंचाया। उसने पुलिस को बताया कि डर के कारण उसने परिजनों को अपने अपहरण की झूठी कहानी सुना दी थी।

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