इस बार पालकी में सवार होकर आयेंगी माता रानी : पं. प्रकाश जोशी

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शारदीय नवरात्र तीन अक्टूबर से प्रारंभ होंगे। इस बार माता रानी पालकी में सवार होकर आयेंगी। ज्योतिष के अनुसार 2024 में शारदीय नवरात्र में माता रानी का वाहन पालकी होगा। वैसे तो माता  का मुख्य वाहन सिंह है, लेकिन दिन, नक्षत्र आदि की गणना के अनुसार वाहन हर साल बदलता है, जो कोई ना कोई संकेत लेकर आता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार से होगी। ऐसे में माता रानी का वाहन पालकी रहेगा। माता का वाहन पालकी होना अशुभ संकेत देता है।

 ज्योतिषाचार्य पालकी वाहन को लेकर संदेश देते हैं कि, नवरात्रि में मां दुर्गा जब धरती पर डोली या पालकी में आती हैं तो इसे बहुत अच्छा संकेत नहीं माना जाता है। इससे अर्थव्यवस्था में गिरावट, व्यापार में मंदी, हिंसा, देश-दुनिया में महामारी के बढऩे के संकेत मिलते हैं। वैसे तो माता रानी का वाहन शेर है, इसलिए मां दुर्गा को शेरावाली कहा जाता है, परंतु नवरात्रि में जब मां दुर्गा धरती पर आती है तो उस दिन के हिसाब से उसका वाहन बदल जाता है।  शशि सूर्य गजरूढा, शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता। इस श्लोक के अनुसार सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी का आगमन अलग-अलग वाहनों पर बताया गया है।

इसके अनुसार यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार को प्रारंभ होती है तो देवी हाथी पर सवार होकर आती हैं। यदि नवरात्र शनिवार या मंगलवार को शुरू होते हैं तो देवी अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। जब नवरात्रि गुरुवार या शुक्रवार से शुरू होते हैं तो मां पालकी या डोली में आती हैं।  जब नवरात्रि बुधवार से शुरू होते हैं तो मां नौका में सवार होकर आती है। शारदीय नवरात्र हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जो मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित हैं। यह उत्सव नौ दिनों तक मनाया जाता है और इसमें देवी के अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है। माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान कुछ विशेष कार्य जरूर करने चाहिए और साथ ही कुछ कामों को करने से बचना चाहिए। शुभ मुहूर्त- इस बार दिनांक 3 अक्टूबर 2024 गुरुवार से नवरात्र प्रारंभ होंगे।

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इस दिन यदि प्रतिपदा तिथि की बात करें तो 52 घड़ी दो पल अर्थात अगले दिन प्रात. 2.58 बजे तक प्रतिपदा तिथि रहेगी। यदि नक्षत्र की बात करें तो इस दिन हस्त नक्षत्र 23 घड़ी 27 पल अर्थात शाम 3.32 बजे तक है। इस दिन ऐंद्र नामक योग 55 घड़ी 36 पल अर्थात अगले दिन प्रात: 4.24 बजे तक है। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार 3 अक्टूबर को घट स्थापना का मुहूर्त प्रात: 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 7 बजकर 22 मिनट तक होगा। घट स्थापना के लिए कुल 1 घंटा 07 मिनट का समय मिलेगा। इसके अलावा घट स्थापना अभिजीत मुहूर्त में भी किया जा सकता है। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा, जिसके लिए 47 मिनट का समय मिलेगा। पूजा विधि- नवरात्रि के पहले दिन व्रती द्वारा व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन लोग अपने सामथ्र्य अनुसार 2, 3 या पूरे 9 दिन का उपवास रखने का संकल्प लेते हैं। संकल्प लेने के बाद मिट्टी की वेदी में जौ बोया जाता है और इस वेदी को कलश पर स्थापित किया जाता है।

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हिन्दू धर्म में किसी भी मांगलिक काम से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया गया है। अत: सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन करना चाहिए। कलश को गंगाजल से साफ की गई जगह पर रख दें। इसके बाद देवी-देवताओं का आवाहन करें। कलश में सात तरह के अनाज, कुछ सिक्के और मिट्टी रखकर फूल और आम के पत्तों से सजा लें। इस कलश पर कुल देवी की तस्वीर स्थापित करें या नारियल रखें। दुर्गासप्तशती का पाठ करें इस दौरान अखंड ज्योति अवश्य प्रज्जवलित करें। अंत में देवी मां की आरती करें और प्रसाद सभी लोगों में बाट दें। इन बातों का रखें ध्यान वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवरात्रि में अखंड ज्योति जला रहे हैं, तो कभी भी घर को खाली न छोड़ें, बल्कि घर में किसी व्यक्ति को हमेशा रहना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्र में घर को हमेशा साफ-सुथरा रखें। मान्यता है कि ऐसा करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान घर में सात्विक भोजन बनाना चाहिए और प्याज, लहसुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जो लोग नवरात्रि में व्रत रखते हैं, उन्हें दिन में कभी नहीं सोना चाहिए। नवरात्रि के 9 दिनों में सुबह और शाम दोनों समय माता की आरती जरूर करनी चाहिए। साथ ही माता रानी को प्रतिदिन भोग लगाना चाहिए। मां को लाल रंग बहुत पसंद है। लाल रंग को समृद्धि, सौभाग्य, शक्ति और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। नवरात्र में मां दुर्गा को लाल रंग के फूल चढ़ाएं और लाल रंग की चुनरी या वस्त्र जरूर चढ़ाएं। इस दौरान माता  के अलग-अलग रूपों की पूजा करें। विशेष रूप से रोजाना नए फूल, फल और मिठाइयां मां दुर्गा को अर्पित करें। नवरात्र में प्रतिदिन माता दुर्गा के मंत्रों का जप करें और ध्यान करें। इससे मन की शांति और एकाग्रता बढ़ती है और परिवार में खुशहाली आती है। नवरात्रि के पावन दिनों में जरूरतमंदों को दान दें या उनकी सेवा करें। यह बहुत ही पुण्य का कार्य माना जाता है, जिसे करने पर शुभ फल की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के दिनों में नकारात्मकता से दूर रहें और अच्छे विचारों को अपनाएं। किसी भी प्रकार के विवाद या झगड़े से बचें।

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पूजा के समय अनुशासन का पालन जरूर करें। समय पर उठना, और भक्ति भाव से माता रानी की पूजा-अर्चना नवरात्रि के दिनों में आवश्यक होती है।  

नवरात्रि तिथियां 3 अक्टूबर-मां शैलपुत्री प्रतिपदा 4 अक्टूबर-ब्रह्मचारिणी द्वितीया  5 अक्टूबर- चंद्रघंटा तृतीया  6 अक्टूबर-कुष्मांडा चतुर्थी  7 अक्टूबर- स्कंदमाता पंचमी  8 अक्टूबर-कात्यायनी षष्टी  9 अक्टूबर-कालरात्रि सप्तमी  10 अक्टूबर-महागौरी दुर्गा अष्टमी 11 अक्टूबर- महाअष्टमी एवं महानवमी 12 अक्टूबर-प्रतिमा विसर्जन दशहरा  सूर्य ग्रहण  भारतीय समयानुसार 2 अक्टूबर को रात 9 बजकर 12 मिनट से सूर्य ग्रहण लगेगा, जो देर रात 3 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण समय से 12 घंटे पूर्व प्रारंभ हो जाता है। सूतक काल को एक प्रकार से अशुभ समय माना जाता हैं। सूतक काल में कोई मांगलिक या शुभ कार्य नहीं किया जाता है। सूर्य ग्रहण के समय भारत में रात होगी, इसलिए यहां ग्रहण दिखाई नहीं देगा। जब सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देता है तो सूतक काल भी मान्य नहीं होता है।  

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