राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रुद्रपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

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रूद्रपुर। सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रूद्रपुर में “ भारत का समृद्ध सांस्कृतिक अतीत : चिन्ताएँ और वास्तविकताओं का रहस्योद्घाटन “ विषय पर चल रही दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ। इस संगोष्ठी का आयोजन समाजशास्त्र विभाग द्वारा किया गया । इसके समन्वयक समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ. अंचलेश कुमार तथा आयोजक सचिव प्रोफ़ेसर हेमलता सैनी रही। प्रोफ़ेसर रवीन्द्र कुमार सैनी तथा डॉ. राजेश कुमार सिंह ने सह- समन्वयक की भूमिका निभाई । इसके अतिरिक्त इतिहास विभाग की असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ. अपर्णा सिंह तथा क्रीड़ा विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


इस दो दिवसीय सत्र के समापन समारोह को ऑनलाइन सम्बोधित करते हुए निदेशक उच्च शिक्षा प्रोफ़ेसर चंद्र दत्त सुंठा जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति के तत्वों से युवाओं को परिचित कराने का दायित्व शिक्षकों के ऊपर है। नई शिक्षा नीति 2020 भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रकाश में लाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी । आपने इस बात पर बल दिया कि महाविद्यालयों में इस तरह के सेमिनार समय समय पर आयोजित होते रहने चाहिए ताकि इनसे प्राप्त निष्कर्षों के माध्यम से सरकार को नीति निर्माण में मदद मिल सके।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर ललित तिवारी निदेशक शोध और प्रसार प्रकोष्ठ, कुमायूँ विश्वविद्यालय, नैनीताल ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत के सांस्कृतिक अतीत को उसकी समग्रता में देखे जाने की ज़रूरत है । आपने जैव विविधता को संस्कृति से जोड़ते हुए बताया कि भारत के अलग अलग प्रांतों और भूखण्डों में मौजूद विविधता उनकी संस्कृति में भी परिलक्षित होती है ।

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समापन के विशिष्ट अतिथि भारतीय लोक प्रबंधन संस्थान , नई दिल्ली के प्रोफ़ेसर साकेत बिहारी ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को समझने के लिए हमें सबसे पहले अपने वैचारिक पूर्वाग्रहों को त्यागना होगा । आपने वेदों और उपनिषदों में व्याप्त ज्ञान और उसके आधार पर प्रचलित जीवन शैली को अपनाने पर ज़ोर दिया ।
समापन समारोह की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य और हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर शम्भू दत्त पाण्डेय ने कहा कि भारत की महान संस्कृति के तत्वों से युवाओं को परिचित कराने की ज़रूरत है ।
इस दो दिवसीय संगोष्ठी में कुल 23 शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए । इन शोध पत्रों से प्राप्त निष्कर्षों को उचित माध्यम से सरकार को प्रेषित किया जाएगा ताकि इनके आधार पर नीति निर्धारण में सहायता मिल सके ।इन शोध पत्रों के आधार पर आगामी दिनों में एक पुस्तक को प्रकाशित किया जाना प्रस्तावित है ।
कार्यक्रम के ऑनलाइन तकनीकी सत्र का संचालन महाविद्यालय के प्राध्यापक समाजशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ. राजेश कुमार सिंह ने किया । इस ऑनलाइन सत्र की अध्यक्षता आई आई टी पटना के प्रोफ़ेसर श्री नलिन भारती जी ने किया । इस सत्र को डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय , सागर , मध्य प्रदेश के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर आशुतोष कुमार मिश्र ने भी सम्बोधित किया ।
कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग और कार्यक्रम को फ़ेसबुक पर लाइव स्ट्रीमिंग करने में महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ. राजेश कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महाविद्यालय के कर्मचारी श्री चंद्रशेखर पाठक ने सेमिनार को सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया । कार्यक्रम में प्रोफ़ेसर रवीन्द्र कुमार सैनी ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया तथा प्रोफ़ेसर हेमलता सैनी ने इस दो दिवसीय सेमिनार की विस्तृत आख्या प्रस्तुत की ।
इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. राजेश कुमार , डॉ. रवीश त्रिपाठी , डॉ. शलभ गुप्ता , डॉ. सुनील मौर्य, डॉ. दीपमाला, डॉ. वकार हसन खान , डॉ. बामेश्वर प्रसाद सिंह , डॉ. अपर्णा सिंह तथा शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले प्रतिभागी डॉ. बबित कुमार विहान , डॉ. आशीष अंशु,गरिमा बिष्ट, अनु, रेणु भण्डारी , प्रमोद वर्मा , जगदीश पाण्डेय, इल्मा मलिक, गौसिया, कुमारी शैलजा , ललिता धामी, हनी कुमार , अर्चना वर्मा , सुनील भारती,शिवांगी पाण्डेय, हर्षवर्धन, जय श्री जोशी आदि उपस्थित रहे ।

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