उत्तराखंड मांगे भू-कानून…सरकारी भूमि पर अतिक्रमण, भूमि की खरीद-फरोख्त को लेकर भू-कानून में कड़े प्रावधान बनाये जाने की नितांत आवश्यकता

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दया जोशी
हल्द्वानी। उत्तराखंड में लैंड जिहाद पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के तेवर भले ही सख्त हों लेकिन भूमि की खरीद-फरोख्त में भू माफिया और दलाल पूरी तरह सक्रिय हैं तथा नौकरशाहों से साठ गांठ करते हुए राज्य की जमीन की अवैध तरीके से खरीद फरोख्त करने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने भी स्वीकार किया है कि ऐसे लोग उत्तराखंड में बसने लगे हैं, जिनके बारे में कोई जानकारी नहीं है तथा सरकारी भूमि पर अतिक्रमण और भूमि की खरीद-फरोख्त को लेकर भू-कानून में कड़े प्रावधान बनाये जाने की आवश्यकता है। ताज़ा और बेहद संगीन मामला नैनीताल जिले की कालाढूंगी तहसील अंतर्गत गेबुवा खास का सामने आया है। जिसमें एक रियल स्टेट ब्रोकर के द्वारा नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी का नाम लेकर भूमि नाम कराने की ऐवज में करोड़ों रुपए मांग करने के आरोप कुछ लोगों ने लगाए हैं।

जमीन खरीद फरोख्त मामले में मिली जानकारी के अनुसार कालाढुंगी तहसील के पास गेबुवा खास में कुलवंत कौर पुत्री सुरजीत सिंह ने सन 1970 में लगभग 74 बीघा जमीन खरीदी गयी थी जो कि सीलिंगमुक्त थी।लेकिन कुलवंत कौर की जमीन को सरकारी दस्तावेजों में उनके पिता की संयुक्त भूमि में जोड़ देने से वह जमीन सीलिंग प्रभावित हो गयी । सीलिंग प्रभावित होने पर कुलवंत कौर के पति सजेन्द्र सिंह और उनका परिवार इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा तथा अपनी आपत्ति दर्ज कराई। मामले में कोर्ट ने नैनीताल प्रशासन को सुनवाई करने और मामले को निस्तारित करने के लिए आदेश किए। मामला वर्ष 1999 से नैनीताल अपर डीएम कार्यालय में विचाराधीन हो गया ।

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कुलवंत कौर की मृत्यु के बाद जमीन सरकारी दस्तावेजों में उनके बेटों जगदेव सिंह और जसप्रीत सिंह के नाम दर्ज़ हो चुकी थी । जमीन के मामले में पैरवी व वकील आदि के खर्चे के लिए जगदेव सिंह और जसप्रीत सिंह को पैसों की जरूरत थी। लिहाज़ा उन्होने कालाढूंगी निवासी रियल स्टेट कारोबारी, कार्बेट नेचर क्राफ्ट एल एल पी कम्पनी चलाने वाले गौरव सती से संपर्क किया। गौरव सती से जमीन का सौदा वर्ष 2021 में बतौर अग्रिम धनराशि लेकर हुआ। जिसमें सहमति बनी कि जब भूमि पूरी तरह से सीलिंगमुक्त हो जाएगी तब पूरा पैसा दिया जाएगा और जमीन की रजिस्ट्री गौरव सती के नाम कर दी जाएगी। न्यायालय से भूमि को सीलिंगमुक्त करवाने की पैरवी सजेन्द्र सिंह एवं उनका परिवार करेगा परन्तु सारा खर्चा गौरव सती वहन करेंगे। एडीएम कार्यालय में विचाराधीन पड़े मामले में अनुबंध के अनुसार वकील की फीस गौरव सती के द्वारा चुकाई गयी।


मामले तब हाईलाइट हुआ जब कुलदीप कत्याल नाम के एक रियल इस्टेट ब्रोकर ने गौरव सती के सहयोगी विकास वाधवा को संपर्क किया और तत्कालीन नैनीताल डीएम से घनिष्ठ संबंध बताकर मामले को जल्द से जल्द निपटाने का आश्वासन दिया । जिसके बाद गौरव सती के द्वारा आरोप लगाते गये हैं कि उनके द्वारा रियल स्टेट कारोबारी कुलदीप कत्याल को नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी से सैटिंग गैटिंग के नाम पर लगभग 20 लाख रुपए दिए गये। साथ ही साथ ही काम करवाने की एवज में उक्त भूमि में से कुल 3300 वर्ग गज़ जमीन की रजिस्ट्री काम होने के बाद कुलदीप कत्याल के नाम करनी होगी। गौरव सती ने बताया कि कुलदीप कत्याल, कैलाश चन्द्र सती और विकास वाधवा के साथ उनकी कई बार जिलाधिकारी नैनीताल से मुलाक़ात भी करायी गयी। गौरव सती और विकास वाधवा की कंपनी कॉर्बेट नेचर क्राफ्ट एलएलपी के द्वारा 3300 वर्ग गज जमीन का कुलदीप कत्याल को एलाटमेंट भी कर दिया गया ।

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लेकिन कई माह बीतने और 20 लाख रुपए की रकम खर्च करने के बाद भी जब काम नहीं हुआ तो गौरव सती के कोर्डिनेटर तारा दत्त ने कुलदीप कत्याल से काम कराने का आग्रह किया। जिस पर कुलदीप कत्याल ने 1 करोड़ रुपए के साथ गौरव सती के कार्यालय में काम करने वाली लड़की से शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाया। गौरव सती ने बताया कि 1 करोड़ की रकम और लड़की से शारीरिक संबंध पर असहमति जताने के बाद उनके कार्डिनेटर तारा दत्त के माध्यम से पूर्व में दिये गए पैसों को लौटने के लिए बोला गया जिस पर कुलदीप कत्याल ने चेतावनी देते हुए कहा कि वह डीएम नैनीताल से उक्त जमीन को सरकारी जमीन में हस्तांतरित करा देने तथा फर्जीवाड़े केस में फंसा देंगे ।

कुछ दिनों के बाद पटवारी और कानूनगो जमीन की जांच करने गेबुवा खास पहुंचे तहसीलदार ने गौरव सती को एक शिकायत पत्र दिखाया जिस पर डीएम नैनीताल ने उपरोक्त जमीन पर जांच करने के आदेश जारी किए थे। गौरव सती ने बताया कि नैनीताल डीएम को कुलदीप कत्याल ने एक झूठे शिकायती पत्र में उन पर नकली दाखिल खारिज के कागजात दिखाने तथा फर्जी तरीके से किसानों के नामों की जगह गौरव सती एवं अन्य के नाम अंकित कराने के आरोप लगाए। जिसके बाद उनके द्वारा भी डीएम नैनीताल को उपरोक्त मामले में शिकायत की है ।

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गौरव सती ने बताया कि कुलदीप कत्याल ने डीएम का नाम लेकर उनसे लाखों रुपए की ठगी की और जब कुलदीप कत्याल ने इसके अतिरिक्त एक करोड़ की और डिमांड की गयी तथा हमारे द्वारा इस डिमांड को पूरा नहीं किया गया तो कुलदीप कत्याल ने झूठी शिकायत नैनीताल डीएम कार्यालय में की। चूंकि कुलदीप कत्याल के अनुसार वह तत्कालीन डीएम नैनीताल उसके अच्छे मित्र है। इसलिए गौरव सती और उनके सहयोगियों के खिलाफ झूठी शिकायत कर उन्हे फँसाने की कोशिश की जा रही है ।


जब इस मामले में मीडिया ने कुलदीप कत्याल का पक्ष जानने को उन्हे फोन से संपर्क किया तो उन्होने बताया कि गौरव सती ने जो प्लॉट उन्हे बेचे है वो गौरव सती के नहीं है। गौरव सती से उन्हे लाखों रुपए लेने है, साथ ही कुलदीप कत्याल ने तत्कालीन डीएम से जान पहचान पर सीधे इंकार कर दिया और कहा कि वह तो बस उनके पास प्लॉट खरीदने की अनुमति लेने गए थे। खैर जो भी हो रामनगर और आस पास के क्षेत्र में बाहरी बिल्डर सक्रिय हो चुके है जो उत्तराखंड की बेशकीमती कृषि भूमि को छोटे छोटे प्लॉट में बदलकर बाहरी व्यक्तियों को बेच रहे है। वो समय दूर नहीं जब उत्तराखंड में भी लैंड जेहाद जैसे शब्दों का अर्थ समझ आने लगेगा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी ।

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