जेल में भाईयों को राखी बांध भावुक हुईं महिला बंदी

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हल्द्वानी। हल्द्वानी उप कारागार में रक्षाबंधन के त्योहार पर कई महिला बंदी उस समय फफक-फफक कर रो पड़ीं, जब उनके भाई राखी बंधवाने के लिए जेल पहुंचे। जेल में 1702 बंदी हैं, इसमें 93 महिला बंदी शामिल हैं। गुरुवार को 325 बहनें अपने भाइयों को राखी बांधने पहुंची। वहीं 82 भाई भी अपनी बहनों से राखी बंधवाने पहुंचे थे। जेल प्रशासन की ओर से भी मिठाइयां और राखी की व्यवस्था की गई थी।

कोरोना महामारी के बाद हल्द्वानी जेल में पिछले चार साल से जेल में बंद कैदियों की अपनी बहनों से मिलकर राखी बंधवाने की चाहत गुरुवार को पूरी हुई। पिछले तीन रक्षाबंधन में कोरोना की पाबंदियों की वजह से भाई-बहनें आपस में मिल नहीं पाए थे। दो वर्ष तो जेल में रक्षाबंधन पर्व मनाया ही नहीं जा सका, जबकि तीसरे साल बहनों को गेट के बाहर से ही कैदी भाइयों को राखी बांधनी पड़ी थी। इस बार जेल में ऐसी कोई पाबंदी नहीं थी। रक्षाबंधन को लेकर गुरुवार को जेल प्रबंधन की ओर से व्यवस्था की गई थी। इससे सुबह से ही कारागार के बाहर भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। जेल प्रबंधन से इजाजत मिलते ही बंदी भावुक हो गए। सभी को अपनी बारी का बेसब्री से इंतजार हो रहा था। करीब 11 बजे से मुलाकात शुरू हुई जो शाम 4 बजे तक चली। इस बीच करीब 235 बहनों ने अपने भाइयों और 82 भाइयों ने अपनी बहनों से राखी बंधवाई। इस बीच कई महिलाएं फफककर रोने लगीं। इस पर कारागार में बंद अन्य महिलाओं की आंखें भी छलक आईं।

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1295 बंदियों ने नहीं मनाई राखी
जेल प्रशासन के अनुसार गुरुवार को जेल में बंद 1702 बंदियों में से 407 के परिजन ही राखी मनाने आए थे। इसके अलावा 1295 बंदी ऐसे भी थे, जिनके लिए जेल प्रशासन सहारा बना। हालांकि, इसमें अधिकतर दूसरे धर्मों के बंदी भी थे, जो राखी का त्योहार नहीं मनाते हैं। 93 महिला बंदियों के परिजन नहीं आए थे तो उनके लिए जेल प्रशासन की ओर से मिठाई आदि की व्यवस्था की गई थी।

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