दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा को कोर्ट से झटका -पॉक्सो लगने से नहीं मिल सकती अग्रिम जमानत  

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नैनीताल। लालकुआं दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुबीर कुमार की अदालत ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है। इस आधार पर कोर्ट ने उनकी याचिका निस्तारित कर दी। मामले में जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील शर्मा ने सरकार व पीडि़ता का पक्ष रखते हुए बताया कि आरोपी मुकेश बोरा के विरुद्ध धारा 376 (2)(एन), 506 भारतीय दण्ड संहिता के साथ-साथ धारा 3(ड)/10 पॉक्सो अधिनियम की बढ़ोत्तरी हो गयी है। उन्होंने थाना लालकुआं की जी.डी. सं.-51 दिनांक 4 सितम्बर की प्रति भी कोर्ट में प्रस्तुत की। पीडि़ता के अधिवक्ता ने उत्तराखण्ड शासन द्वारा जारी अधिसूचना 11 अगस्त 2020 की प्रति कोर्ट में प्रस्तुत करते हुए तर्क प्रस्तुत किया कि धारा 438 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत ऐसे अपराधों की सूची बताई गई है, जिनमें अग्रिम जमानत के प्रावधान लागू नहीं होते हैं। साथ ही यह तर्क भी दिया गया कि पॉक्सो अधिनियम 2012 के अन्तर्गत दर्ज मामलों में धारा 438 दण्ड प्रक्रिया संहिता एवं पॉक्सो अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते हैं।

कोर्ट ने पीडि़ता के जिला न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत प्रार्थना पत्र जिसमें वाद को न्यायालय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी में आरोपी मुकेश बोरा द्वारा दाखिल अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र अन्यत्र न्यायालय में स्थानान्तरित करने हेतु प्रस्तुत किया गया है। जिसमें कहा कि अब अपराध में पॉक्सो अधिनियन का आरोप भी आरोपी के विरूद्ध जोड़ दिया गया है और राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार, धारा 438 दण्ड प्रक्रिया संहिता के मामलों में ऐसे अधिनियमों/अपराधों की भी सूची संलग्न की गयी है, जिनमें अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र के प्रावधान लागू नहीं होते हैं। लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का उल्लेख भी उक्त सूची में ऐसे अधिनियम के रूप में है, जिसमें अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र के प्रावधान लागू नहीं होते हैं। कहा कि जी.डी. में दर्ज पीडि़ता तथा उसकी पुत्री के बयानों को दिखाया गया है, जिससे विदित है कि घटनाक्रम 2021 से प्रारम्भ होना बताया गया है। जिससे स्पष्ट है कि पीडि़ता एवं उसकी पुत्री ने जो घटना बताई है, वह एक जुलाई 2024 को भारतीय नागरिक संहिता व भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के लागू होने से पूर्व की है, इसलिए आरोपी के विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता एवं पॉक्सो अधिनियन के अन्तर्गत विवेचना की जा रही है।

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पॉक्सो अधिनियम के मामलों की सुनवाई एवं विचारण हेतु पॉक्सो अधिनियम के अन्तर्गत विशेष न्यायालय/अपर जिला जज, हल्द्वानी का गठन किया गया है। समस्त तथ्यों से यह स्पष्ट है कि थाना लालकुआं के एफ.आई. आर. सं. 170/2024 में पॉक्सो अधिनियम के आरोप की बढ़ोत्तरी हो गयी है, इसलिए मामले में किसी भी प्रार्थना पत्र की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्रथम अपर जिला जज को नहीं रह गया है।

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